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सहायक आचार्य भर्ती के संसोधित परिणाम को लेकर झारखंड HC ने JSSC को कड़ी फटकार लगाकर सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा की आखिर किस नियम के अंतर्गत अधिक अंक लाने वाले अभ्यर्थी को सूची से बाहर किया गया है और कम अंक वाले को रिजल्ट में शामिल कर लिया गया है. अदालत ने यह कहा की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सर्वोपरि होना चाहिए.
किशोर कुमार एवं अन्य अभ्यर्थियों की ओर से की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मामला उठा. याचिकाकर्ता के वकील चंचल जैन ने बताया की प्रारम्भिक परिणाम में याचिकाकर्ता का नाम शामिल था और वे जिला स्तरीय काउंसिलिंग में भी उपस्थित हुए थे, और उस दरम्यान जीतने भी उम्मीदवार थे उनका अंक साझा भी किया गया था. लेकिन जैसे हीं संसोधित परिणाम आया तो कई याचिकाकर्ता को बाहर कर दिया गया और उनसे कम अंक प्राप्त करने वाले कई उम्मीदवार को सूची में ही रखा गया. उन्होंने कोर्ट में बताया की ऐसे 20 से अधिक उदाहरण सामने आए हैं जहां कम अंक वाले को जगह मिली है और अधिक अंक के उम्मीदवार को बाहर कर दिया गया है.
अधिवक्ता ने दलील दी कि सभी याचिकाकर्ताओं के अंक अपने वर्ग में ऊंचे थे और वे TET उत्तीर्ण भी हैं. ऐसे में उनका बाहर होना चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है. इस पर कोर्ट ने तीखे शब्दों में JSSC से पूछा कि जब अधिक अंक वाले उम्मीदवार मौजूद थे, तो कम अंक वालों को संशोधित सूची में बनाए रखने का तर्क क्या था.मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के लिए पद सुरक्षित रखने का अंतरिम आदेश पारित किया है, साथ ही अदालत ने JSSC को निर्देश दिया है कि वह अपने काउंटर-अफिडेविट में स्पष्ट करे कि किन कारणों से अधिक अंक पाने वाले उम्मीदवारों को संशोधित परिणाम से बाहर किया गया.

