माँ भद्रकाली मंदिर का अस्तित्व खतरे में: मुहाने नदी पर धड़ल्ले से खनन, इटखोरी की पहचान पर मंडराया संकट

Shashi Bhushan Kumar
फ़ोटो- अवैध बालू तस्करी करते हुए

चतरा: चतरा जिले के इटखोरी में इन दिनों खनन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक की लाखों सख्ती और कड़े फटकार के बावजूद बालू माफियाओं का मनोबल अपने चरम पर है। इटखोरी की पहचान और धार्मिक धरोहर मुहाने नदी सहित धुना घाट नदी, टोना टांड नदी, पितीज के बसाने नदी और हलमत्ता नदी घाट से दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक बालू का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। माफिया बिना किसी खौफ और डर के धड़ल्ले से बालू का उठाव कर, खनन विभाग और जिला प्रशासन को मुंह चिढ़ाकर अपनी तस्करी को जोरों पर रखे हुए हैं और महंगे दामों पर बेचकर चांदी काट रहे हैं। इटखोरी में माँ भद्रकाली मंदिर के समीप बहने वाली प्रसिद्ध मुहाने नदी घाट का अस्तित्व अब गंभीर खतरे में दिख रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रात होते ही नदी किनारे दर्जनों ट्रैक्टरों की कतार लग जाती है। ये ट्रैक्टर बिना किसी रोक-टोक के नदी की छाती चीरकर बालू निकालकर बाजारों तक पहुँचा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अवैध खनन मंदिर के निकट इतनी तेज़ी से चल रहा है कि नदी की धारा और पर्यावरण दोनों पर गंभीर असर पड़ रहा है। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो आने वाले दिनों में मुहाने नदी सूखने के कगार पर पहुँच जाएगी, जिससे इटखोरी की धार्मिक और प्राकृतिक पहचान पूरी तरह से प्रभावित होगी। मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब स्थानीय प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के बयानों में भारी विरोधाभास सामने आता है, जो जिला प्रशासन की कुंभकर्णी नींद को दर्शाता है।

अंचलाधिकारी (CO) का बयान: इस पूरे मामले पर जब इटखोरी अंचलाधिकारी सविता सिंह से बात की गई, तो उन्होंने बालू उठाव की बात स्वीकारते हुए अपनी मजबूरी बताई। उन्होंने कहा, “मैं रात में अकेले कहाँ जाऊंगी.? ऐसे में हमें पुलिस बल की सहयोग चाहिए होती है और मैं इस पुलिस बल की मांग को लेकर जिला में मांग की है। मुझे जिला बल की सहयोग मिलेगी तभी तो मैं कार्रवाई कर सकूंगी।”

थाना प्रभारी का बयान: वहीं, इटखोरी थाना प्रभारी अभिषेक सिंह का बयान CO के दावे के विपरीत है। उन्होंने बताया कि अवैध उठाव के मामले में हमें अभी तक कोई खास जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने केवल इतनी जानकारी दी कि “एक-दो ट्रैक्टर नदी से बालू का उठाव कर रही है क्योंकि बगल में मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसके चलते सिर्फ हो रही है। बाकी रात में बालू का उठाओ और धड़ल्ले से अवैध बालू का उठाओ पर हमें इसकी कोई सूचना नहीं है। जानकारी मिलने पर कार्रवाई करेंगे।” स्थानीय प्रशासन के इस तरह के विरोधाभासी और ढीले रवैये से स्थानीय लोगों का सीधा आरोप है कि स्थानीय प्रशासन के सहयोग से ही बालू माफिया दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक बालू का उठाव कर मोटी कमाई कर रहे हैं। अवैध बालू खनन से नदियों की गहराई असंतुलित हो रही है। इस अंधाधुंध उठाव के कारण पिछली बरसात के दिनों में इटखोरी सहित कई अन्य प्रखंडों को बाढ़ की स्थिति झेलनी पड़ी थी।

आखिर कब रुकेगा अवैध बालू उठाव

सवाल यह है कि नदी रो रही है, लेकिन अधिकारी सो रहे हैं, कब रुकेगी यह बालू तस्करी? अगर इस अवैध बालू का उठाव पर रोक नहीं लगाई गई, तो वह दिन भी दूर नहीं है जब सारी नदियों का अस्तित्व और पहचान पर खतरा मंडरा रहा होगा। अब देखना यह भी लाजमी होगा कि इस अवैध बालू के काले कारोबार पर जिला प्रशासन और खनन विभाग के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन कठोर कार्रवाई करती है या फिर एक बार फिर इस मामले को ठंडा बस्ते में डालकर शांत कर दिया जाएगा।

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