साइबेरियन पक्षी—जामताड़ा का जंगल इन दिनों परिंदों की चहचहाहट से महक उठा है
झारखंड के जामताड़ा जिले का वन और पहाड़ी इलाका इन दिनों विदेशी परिंदों की मौजूदगी से जीवंत हो उठा है। गंगा नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अब राज्य के प्रमुख और आकर्षक पर्यटन स्थलों में शामिल होता जा रहा है।

सर्दियों के साथ मेहमान पक्षियों का आगमन
ठंड की शुरुआत होते ही झारखंड के जलाशयों के पास दूर देशों से आने वाले प्रवासी पक्षी पहुंचने लगते हैं। ये परिंदे यहां मार्च तक रुकते हैं और फिर गर्मी बढ़ने पर अपने मूल स्थानों की ओर लौट जाते हैं।
हर साल साइबेरिया और यूरोप से उड़ान
साहेबगंज के हरे-भरे जंगल और उधवा पक्षी अभयारण्य में भी हर वर्ष साइबेरिया, यूरोप सहित कई देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों की बड़ी संख्या पहुंचती है। गंगा किनारे स्थित यह अभयारण्य झारखंड का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल माना जाता है।

लादना डैम और नारायणपुर जंगल—पक्षियों का अनुकूल ठिकाना
जामताड़ा के लादना डैम और नारायणपुर घाटी के जंगलों का मौसम और माहौल इन पक्षियों के लिए बेहद उपयुक्त है। यही कारण है कि सर्दियों में यहां लगभग 56 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी दिखाई देते हैं, जिनमें 19 प्रजातियां विदेशी हैं।
हजारों किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचते हैं विदेशी पंछी
ये पक्षी साइबेरिया, रूस, चीन और मध्य एशिया के बर्फीले इलाकों से हजारों मील का लंबा सफर तय करके जामताड़ा में शीतकालीन प्रवास के लिए आते हैं। शांत वातावरण इन्हें पसंद आता है, साथ ही कई प्रजातियां यहां प्रजनन भी करती हैं।
कई दुर्लभ प्रजातियां भी देखी जाती हैं
वन विभाग के अनुसार, नवंबर से मार्च तक पेसिफिक गोल्डन प्लोवर, साइबेरियन, कॉमन पोचार्ड और अलास्का प्रजाति जैसे कई दुर्लभ और आकर्षक पक्षी इस क्षेत्र में दिखाई देते हैं।
संरक्षण के लिए विभाग सक्रिय
वन प्रमंडल पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि जामताड़ा का प्राकृतिक वातावरण इन पक्षियों के लिए बेहद अनुकूल है और विभाग इनके संरक्षण को प्राथमिकता दे रहा है। स्थानीय लोगों को भी इनके शिकार से दूर रहने की सलाह दी जा रही है।
प्रजनन के लिए सुरक्षित स्थान
राजकुमार के अनुसार, हर साल यहां 56 तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें 19 विदेशी प्रजातियां शामिल हैं। यहां की जलवायु उन्हें इतना रास आती है कि वे प्रजनन भी यही करते हैं। इसी वजह से विभाग इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रहा है।

बर्ड सैंक्चुरी की मांग अब भी अधूरी
इस इलाके की हरियाली और खूबसूरत प्रवासी पक्षियों ने इसे पर्यटन का केंद्र बना दिया है। स्थानीय लोग लंबे समय से इसे आधिकारिक तौर पर बर्ड सैंक्चुरी घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
पक्षियों की सुरक्षा के लिए अपील
वन विभाग नियमित रूप से पक्षियों की गिनती और सुरक्षा के कदम उठा रहा है। साथ ही ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है कि वे इन परिंदों को नुकसान न पहुंचाएं और शिकार से दूर रहें।

