पूर्व नौकरशाहों और जजों की राहुल गांधी पर टिप्पणी पर कांग्रेस नेता राजेश ठाकुर ने उठाए सवाल

Ravikant Upadhyay

झारखंड। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों की आलोचना करने वाले पूर्व नौकरशाहों और जजों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश ठाकुर ने बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं, जो देश में घट रही तमाम घटनाओं पर लंबे समय तक चुप रहे।

आईएएनएस से बातचीत में राजेश ठाकुर ने कहा, “ये 272 लोग अभी तक कहां थे? यही हम खोज रहे हैं। जो देश में तमाम घटनाएं घटती हैं, उस समय ये चुप बैठे रहते थे। आज ये लोग मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कहने पर ज्ञान देने के लिए सामने आए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की मामलों में उन अधिकारियों को नहीं पड़ना चाहिए, जो कहीं न कहीं राजनीति का शिकार हो रहे हैं।

राजेश ठाकुर ने उदाहरण देते हुए कहा, “झारखंड के भी दो-तीन लोगों का जिक्र सामने आया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कितना काम किया, यह राज्य की जनता से छिपा नहीं है। मेरा मानना है कि ऐसे लोग कहीं न कहीं राहुल गांधी के दावों के बाद स्थिति को और जटिल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की बातें लोगों को अब समझ में आ रही हैं और यह साफ है कि जनता को धोखा देने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। ठाकुर ने इस बात पर भी जोर दिया कि पूर्व नौकरशाह और जज केवल अपने डर और राजनीतिक भय के कारण ही इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। “उन्हें डर लगता है कि आने वाले समय में चुनाव आयोग को किसी विद्रोह या विवाद का सामना न करना पड़े, इसलिए ये चिट्ठियां लिखी जा रही हैं,” उन्होंने कहा।

साथ ही, कांग्रेस नेता ने सपा महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख अबू आजमी के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। ठाकुर ने कहा, “अबू आजमी हमेशा अटकी-भटकी बातें करते रहते हैं। उनकी बातों का जवाब देना मैं जरूरी नहीं समझता। राजनीतिक और संवैधानिक मुद्दों पर बातें केवल ‘इंडिया’ गठबंधन के मंच पर होनी चाहिए। कोई बाहर आकर बयान दे रहा है, तो उसकी जिम्मेदारी उसकी पार्टी पर है।”

राजेश ठाकुर का यह बयान उस समय आया है जब देश में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है। उनके अनुसार, इस तरह की टिप्पणियां जनता के बीच भ्रम फैलाने का प्रयास हैं और इससे लोकतंत्र की प्रक्रिया पर भी असर पड़ सकता है।

राजेश ठाकुर ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और चुनाव आयोग की साख पर कोई भी राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और पूर्व नौकरशाहों से अपील की कि वे राजनीतिक मामलों में निष्पक्ष और संवेदनशील रवैया अपनाएं और केवल लोकतंत्र की मजबूती के लिए ही बयान दें।

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