इस्लामाबाद, 27 सितंबर (लाइव 7)पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री एवं पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान ने पार्टी नेताओं को सरकार और सेना के साथ बातचीत के प्रयासों से बचने का निर्देश देते हुये कहा है कि इस तरह की किसी भी चर्चा से केवल उनके दुश्मन मजबूत होंगे।
मीडिया रिपोर्टों में यह जानकारी दी गयी है।
अदियला जेल में लगभग एक वर्ष से बंद श्री खान ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार और सैन्य एजेंसियों के साथ बातचीत करने से कोई लाभ नहीं होगा।उन्होंने कहा,“ जितना हम पीछे हटेंगे, उतना ही वे हमें कुचलेंगे।उन्होंने कहा कि यह पाकिस्तान की सरकारी संस्थाओं, सैन्य एजेंसियों और प्रशासनिक अधिकारियों की आधिकारिक नीति नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा , “यह तीसरे अंपायर की नीति है।”
श्री खान का यह राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ में एक व्यंग्य है कि निर्णय लेने वाली शक्ति वास्तव में सरकार या संस्था के पास नहीं है, बल्कि किसी अन्य शक्तिशाली तत्व या समूह के पास है, जो निर्णय लेता है और सरकार को निर्देश देता है। श्री खान ने कई मौकों पर देश की सत्ता के साथ अपने मतभेदों को व्यक्त किया है और अपने लोगों को सरकार और सैन्य एजेंसियों के साथ बातचीत करने से दूर रहने की सलाह दी है।
श्री खान ने जेल के अपने अनुभव को याद करते हुए कि हुए इस विचार को खारिज कर दिया कि वह दबाव में टूट जाएंगे। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा,“ उन्हें (सरकार) लगता था कि मैं अकेले नहीं रह सकता और मैं टूट जाऊंगा। मैं हर दिन 21-22 घंटे अकेला रहता हूं। गर्मी में मुझे इतना पसीना आता है कि मेरे कपड़े फट जाते हैं। उन्हें पता नहीं है कि एथलीट्स कैसे अभ्यास करते हैं; हम दबाव में भी डटे रहने के लिए तैयार किए जाते हैं।”
अखबार के साथ बातचीत में श्री खान ने जापान के परमाणु बम हमलों के ऐतिहासिक संदर्भ को सामने रखकर यह बताने की कोशिश की कि कैसे जापान की सरकार ने उसे उबरने में मदद की। उनका मानना है कि जब किसी देश की नैतिकता और सरकार मजबूत होती हैं, तो वह समृद्धि की ओर बढ़ता है। लेकिन इस मामले में, “एक्सटेंशन माफिया” अपने स्वार्थ के लिए दोनों को नष्ट कर रहा है। उन्होंने कहा, “गैंग ऑफ थ्री” देश और उसके समर्थन में खड़े संस्थानों के भविष्य को नष्ट कर रहा है।”
उन्होंने हमूदुर रहमान आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए इसे एक उदाहरण बताया कि कैसे एक व्यक्ति की सत्ता की सत्ता लोलुपता ने पाकिस्तान के लोकतंत्र को नष्ट कर दिया और पूर्वी पाकिस्तान को नुकसान हुआ। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों और असफलताओं ने वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार का कारण बना।रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना की कार्रवाइयों से 50,000 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए और 90,000 सैनिकों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, इस युद्ध ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से भी बहुत नुकसान पहुंचाया।
आयोग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की विफलता ने इस हार का कारण बना। रिपोर्ट में कई सिफारिशें भी की गईं, जिनमें सेना के उच्च अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और सेना के भीतर सुधार करने की बात कही गई। रिपोर्ट हालांकि ,लंबे समय तक गोपनीय रखी गई और बाद में इसे शिक्षा के उद्देश्य से उपलब्ध कराया गया ।
श्री खान ने आज की राजनीति की तुलना फ़िलिस्तीन से करते हुए आरोप लगाया कि पश्चिमी देश फ़िलिस्तीनियों पर अत्याचार करने के लिए जानबूझकर युद्धवि में देरी कर रहे हैं। “उनका एक ही लक्ष्य हमें कुचलना है।”
श्री खान ने शनिवार को घोषणा की कि वह रावलपिंडी में सरकारी अनुमति के बिना कोई रैली नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि उनके वकील भी कल सुप्रीम कोर्ट के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका मानना है कि मुख्य न्यायाधीश काजी फैज इसा उनके विरोधियों के साथ है, और सिकंदर सुल्तान राजा भी उनकी टीम में है, जिसका नेतृत्व “तीसरा अंपायर” कर रहा है।
सैनी,
लाइव 7
सरकार या उसकी एजेंसियों से दूर रहें पीटीआई के नेता:इमरान खान
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