नयी दिल्ली 19 सितंबर (लाइव 7) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान( आईसीएआर) शनिवार को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक राष्ट्रीय सम्मेलन “ आम की उपज एवं गुणवत्ता में सुधार की रणनीतियों और शोध प्राथमिकता” का आयोजन करेगा जिसमें देश विदेश के कई विशेषज्ञ “ फलों के राजा आम” को और खास बनाने पर विचार विमर्श करेंगे।
सम्मेलन के सहयोगी केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक टी. दामोदरन ने गुरुवार को यहां बताया कि सम्मेलन आईसीएआर के उप महानिदेशक (बागवानी) डॉ. कुमार सिंह की अध्यक्षता में होगा। कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। इनके अलावा गुजरात में आनंद के आनंद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केबी कठीरिया भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। आईसीएआर के अनुसार सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान – सीआईएसएच के परिसर में होगा।
सम्मेलन में आम पर देश विदेश की नामचीन संस्थाओं में शोध करने वाले विशेषज्ञ भी शामिल हाेंगे। इसमें आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के वरिष्ठ बागवानी विशेषज्ञ डॉ. नटाली डिलन, इज़राइल के शोधकर्ता और वरिष्ठ जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ. इयान एस.ई. बल्ली भी हैं। सम्मेलन में नियमित फल, उच्च पैदावार, आकर्षक फल रंग, लंबी आयु, व्यापक अनुकूलनशीलता और जलवायु लचीलापन के लिए आम की किस्मों का प्रजनन, लवणता सहिष्णुता और बौनेपन के लिए मूलवृंत प्रजनन, जीनोमिक चयन और तेज प्रजनन दृष्टिकोण का उपयोग करके सटीक प्रजनन, उन्नत आम की किस्मों एवं संकर किस्मों का क्लोनल और हाफ-सिब चयन, मैंगीफेरा की संबंधित प्रजातियों से प्राकृतिक जीनों का दोहन, विरासत, किसानों, पारंपरिक और जीआई किस्मों का खेत पर संरक्षण आदि पर चर्चा होगी।
आम दुनिया के उष्ण और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और विशेष रूप से एशिया के प्रमुख फलों में से एक है। भारत आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। दुनिया के पांच करोड 83 लाख टन आम उत्पादन में से लगभग दो करोड़ 47 लाख टन की हिस्सेदारी भारत की है। भारत ताजे आमों का एक प्रमुख निर्यातक भी है। भारत ने वर्ष 2022-23 के दौरान चार करोड़ 85 लाख 30 हजार डालर के 22963.76 टन ताजे आमों का निर्यात किया है।
भारत में आम की विविधता बहुत अधिक है। भारत में आम की लगभग 1000 किस्में हैं। हालांकि इनमें से लगभग 20 किस्में ही व्यापार और निर्यात व्यवसाय में प्रमुखता रखती हैं। भारतीय आम की किस्मों में स्वाद, सुगंध, खाने की गुणवत्ता, रूप और अन्य जैव सक्रिय यौगिकों में बहुत अधिक विविधता होती है। उत्तर प्रदेश एक प्रमुख आम उत्पादक राज्य है। देश के कुल उत्पादन का लगभग 23.6 प्रतिशत आम उत्तरप्रदेश में होता है। इसके बाद आंध्र प्रदेश 22.99 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है।
आम लाखों किसानों, बागवानों के लिए आजीविका का स्रोत है। पर भारत मे आम की औसत राष्ट्रीय उत्पादकता, दुनिया की औसत आम उत्पादकता की तुलना में काफी कम है। झुलसा रोग, एन्थ्रेक्नोज, फल मक्खी, थ्रिप्स, हॉपर आदि का प्रकोप, अत्यधिक तापमान, अनियमित वर्षा, पाला, लवणीय और क्षारीय मिट्टी आदि इसके कारण हैं। अनियमित और अप्रत्याशित मौसमी घटनाएं भी आम के वानस्पतिक विकास, फूल और फल लगने, फलों की वृद्धि, फलों की गुणवत्ता और उपज को प्रभावित करती हैं।
उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री की अनुपलब्धता, प्रशिक्षण और छटाई प्रक्रियाओं की कमी, उच्च घनत्व वाले बागों की कमी, दोषपूर्ण बाग प्रबंधन, शारीरिक विकार, पारंपरिक आम की किस्मों का विलुप्त होना जैसी अन्य समस्याएं भी भारतीय आम उत्पादकता के लिए संकट पैदा कर रही हैं।
भारत में विभिन्न संस्थानों ने आम की 70 से अधिक संकर या उन्नत किस्में जारी की हैं। इनमें से केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से सीआईएसएच-अंबिका, सीआईएसएच-अरुणिका, अवध समृद्धि और अवध मधुरिमा नाम की प्रजातियां विकसित की गई हैं। दिल्ली में पूसा के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने अरुणिमा, पूसा सूर्या, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ, पूसा पीताम्बर, पूसा लालिमा, पूसा दीपशिखा, पूसा मनोहारी प्रजाति का विकास किया है। बेंगलूरु के आईसीएआर-भारतीय बागवानी शोध संस्थान ने अर्का सुप्रभात, अर्का अनमोल, अर्का उदय, अर्का पुनीत, अर्का अरुणा, अर्का नीलाचल केसरी प्रजाति विकसित की है। हालांकि भौगोलिक-विशिष्ट आवश्यकताओं के कारण देश में लगभग 20 संकर और उन्नत किस्में व्यावसायिक रूप से नहीं उगाई जाती हैं। अधिकांश विकसित संकर और उन्नत किस्मों में रंग, गुणवत्ता या उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए बहुत विशिष्ट जलवायु सबंधी आवश्यकताएं होती हैं, जिसके कारण वे पूरे देश में बहुत लोकप्रिय नहीं हैं।
सत्या.साहू
लाइव 7
आम को खास बनाने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन लखनऊ में
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