मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को कांके रोड स्थित अपने आवासीय परिसर में देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों के साथ एक महत्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। इस सामूहिक चर्चा का उद्देश्य देशभर में चल रहे आदिवासी आंदोलनों, अधिकार आधारित संघर्षों और उनके समन्वयन को एक संगठित स्वरूप प्रदान करना था। कार्यक्रम में करीब 100 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी संगठनों के पदाधिकारी और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड की धरती सदैव स्वाभिमान, संघर्ष और आदिवासी अस्मिता की प्रतीक रही है। उन्होंने कहा कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन और अन्य अनेक आदिवासी नेताओं ने अपने संघर्षों और त्याग के माध्यम से जनजातीय समाज को नई पहचान दिलाई। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भी आदिवासी समाज का अमूल्य योगदान रहा है, जिसे इतिहास हमेशा याद रखेगा।
सीएम सोरेन ने कहा कि आदिवासी समुदाय आज भी प्रकृति संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्यों और सामूहिक विकास की अनूठी परंपरा को जीवित रखे हुए है। उन्होंने कहा कि आधुनिक विकास की दिशा में मानव द्वारा प्रकृति के साथ किए गए हस्तक्षेप के कारण प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ा है, इसलिए जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि “आदिवासी समाज प्रकृति का संरक्षक रहा है और यही इसकी जीवन शैली है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समाज के लिए संचालित योजनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां आदिवासी छात्र-छात्राओं को सरकारी खर्च पर विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक प्रगति के लिए सरकार लगातार नीतिगत हस्तक्षेप कर रही है और भविष्य में भी यह प्रयास जारी रहेगा।
कार्यक्रम में आए प्रतिनिधियों ने कहा कि आदिवासी समाज की समस्याएं पूरे देश में लगभग समान हैं—चाहे वह भूमि अधिकार का सवाल हो, शिक्षा की चुनौतियां हों या सांस्कृतिक अस्तित्व का मुद्दा। प्रतिनिधियों ने कहा कि एक समन्वित नेतृत्व और राष्ट्रीय स्तर पर नीति निर्धारण की आवश्यकता है, जिससे आदिवासी मुद्दों को व्यापक स्तर पर आवाज मिल सके। उन्होंने झारखंड सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की पहल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जनसंपर्क, संवाद और सहभागिता आधारित अभियानों में आदिवासी समाज की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की वास्तविक चुनौतियों को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाकर ही स्थायी समाधान संभव है।
कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन, अशोक चौधरी सहित कई प्रमुख नेता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि देशभर के आदिवासी संगठन एकजुट होकर अधिकार आधारित आंदोलनों को नई दिशा देंगे।

