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झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार से औपचारिक रूप से शुरू हो गया। सत्र की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि विधानसभा सिर्फ ईंट-पत्थरों से बना ढांचा नहीं, बल्कि वह स्थान है जहाँ जनता की उम्मीदें और लोकतंत्र की वास्तविक ध्वनि गूंजती है। उन्होंने कहा कि सदन की हर आवाज़ में जनता की आकांक्षाएं झलकती हैं, और यहीं से लोकतंत्र का प्रकाश हर दिशा में फैलता है।
8 दिसंबर से शुरू होगा प्रश्नकाल
स्पीकर ने बताया कि इस शीतकालीन सत्र में कुल पाँच कार्य दिवस निर्धारित हैं। 8 दिसंबर से प्रश्नकाल की शुरुआत होगी। इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2025-26 के द्वितीय अनुपूरक बजट तथा विनियोग विधेयक प्रस्तुत किए जाएंगे।10 और 11 दिसंबर को राजकीय विधेयक एवं अन्य सरकारी कार्य सूचीबद्ध हैं, जबकि सत्र के अंतिम दिन गैर-सरकारी सदस्यों के कार्य लिए जाएंगे।
महतो ने कहा कि पूरा सत्र प्रश्नकाल, वित्तीय दायित्वों और विधायी कार्यों के संतुलित संचालन पर केंद्रित रहेगा।
“रजत जयंती विकास और नए संकल्पों का प्रतीक”
अपने संबोधन में स्पीकर ने राज्य की रजत जयंती का उल्लेख करते हुए कहा कि 25 साल की यात्रा केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन और प्रगति का अवसर है।उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपराओं, किसानों के श्रम, युवाओं की ऊर्जा और खनिज संसाधनों की संभावनाओं ने झारखंड को नई दिशा दी है।पिछले वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, बुनियादी ढांचे और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार हुए हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।उन्होंने कहा कि दूरस्थ गांवों तक बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, युवाओं को अधिक अवसर, आदिवासी-मूलवासी समुदायों का विकास और प्राकृतिक संसाधनों के संतुलित उपयोग जैसे मुद्दे अब भी प्राथमिकता में हैं।
“झारखंड की संभावनाएं अपार—विकास को और न्यायपूर्ण बनाया जाए”
स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि झारखंड की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं और इन्हें जनहित में बदलना सरकार और सदन की सामूहिक जिम्मेदारी है।उन्होंने भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य और तेजी से प्रगति करेगा।उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा तब ही बनी रहती है जब विपक्ष और सत्ता—दोनों संवाद की मर्यादा को बनाए रखते हुए लोकतंत्र की मूल भावना को आगे बढ़ाएं।उन्होंने विधायकों से आग्रह किया कि वे बहसों को तथ्यपूर्ण रखें, प्रश्नों को सार्थक बनाएं और हर निर्णय को जनहित के पैमाने पर परखें।अंत में स्पीकर ने आशा व्यक्त की कि यह शीतकालीन सत्र अनुशासित, उत्पादक और जनता के हितों को मजबूत करने वाला साबित होगा।

