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गर्भावस्था के दौरान होने वाली जांच और उपचार की लागत कई महिलाओं के लिए चुनौती बन जाती है, खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर तबके में। इन समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) ने झारखंड सहित देशभर में लाखों महिलाओं को महत्वपूर्ण सहारा दिया है।
इस योजना के तहत हर महीने की 9 तारीख को सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और जिला अस्पतालों में नि:शुल्क एंटे-नेटल जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यदि 9 तारीख किसी अवकाश पर पड़ती है, तो जांच अगले कार्य दिवस में कराई जाती है।
किसे मिलता है योजना का लाभ?
इस अभियान का लाभ देश की हर गर्भवती महिला उठा सकती है। विशेष रूप से गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में रहने वाली महिलाओं को इससे बड़ी मदद मिलती है। योजना के तहत किसी जाति, वर्ग या आय संबंधी शर्त नहीं है।
कौन-कौन सी जांचें शामिल हैं?
अभियान के दौरान विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा निम्नलिखित जांच व सुविधाएं प्रदान की जाती हैं—
रक्त और मूत्र की जांच, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की जांच, अल्ट्रासाउंड (जरूरत पड़ने पर),आयरन-फोलिक एसिड (IFA) और कैल्शियम सप्लीमेंट, हाई-रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान कर विशेषज्ञ संस्थानों को रेफर
इन सुविधाओं के कारण गर्भवती महिलाओं को बेहतर निगरानी मिलती है और प्रसव संबंधी जटिलताओं में भी कमी दर्ज की गई है।
मातृ मृत्यु दर में कमी
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार PMSMA ने देश में मातृ मृत्यु दर (MMR) को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय पर जांच और उपचार मिलने से कई गंभीर जोखिमों को पहले ही पहचानकर नियंत्रित किया जा सका है।
झारखंड में अब तक 9 लाख से अधिक लाभार्थी
झारखंड में इस योजना का प्रभाव काफी व्यापक रहा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2023 तक राज्य की 9,16,538 गर्भवती महिलाएं PMSMA के तहत जांच और उपचार का लाभ ले चुकी हैं।
जिलेवार स्थिति: सरायकेला: 1,43,091 लाभार्थी, पश्चिम सिंहभूम: 1,01,347 लाभार्थी, रांची: 35,372 लाभार्थी
राज्य के अन्य जिलों में भी महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस योजना का लाभ उठाया है, जिससे सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा मिला है।

