जिला स्तरीय कला उत्सव का दो दिवसीय समारोह सम्पन्न, प्रतिभागियों को मिला सम्मान

Shashi Bhushan Kumar

कला संस्कृति मंत्रालय एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में प्रेक्षागृह में आयोजित दो दिवसीय जिला स्तरीय कला उत्सव का समापन शनिवार को पुरस्कार वितरण के साथ हुआ। उत्सव में कुल सात विधाओं—समूह लोकगीत, समूह लोकनृत्य, कहानी लेखन, कविता लेखन, विज्ञान मेला, चित्रकला और वकृत्व—की प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। आनंद झा के संचालन में संपन्न कार्यक्रम के अंतिम दिन लोकगीत, लोकनृत्य, चित्रकला और विज्ञान प्रदर्शनी के विजेताओं को सम्मानित किया गया। चयनित प्रतिभागियों को अब राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेजा जाएगा।

चित्रकला प्रतियोगिता में शांभवी कुमारी प्रथम, दीक्षा झा द्वितीय, और सिद्ध मणि तृतीय रहीं। लोकनृत्य में राजलक्ष्मी टीम प्रथम, रिया दास टीम द्वितीय, तथा किलकारी टीम तृतीय रहीं। समूह लोकगायन में आशुतोष झा की टीम द्वितीय और सिमरन भारती तृतीय स्थान पर रहीं। विज्ञान मेले में मोहम्मद दिलशाद प्रथम, हंसराज टीम द्वितीय, और आयुष कुमार टीम तृतीय रही। कविता लेखन प्रतियोगिता में आयुष कुमार प्रथम, नवीन यादव द्वितीय तथा दिव्य ज्योति तृतीय स्थान पर रहे। वकृत्व में पूजा कुमारी प्रथम, गुरप्रीत कौर द्वितीय, और केशव कात्यान तृतीय स्थान पर रहे। कहानी लेखन में सृष्टि झा प्रथम तथा सौरव कुमार द्वितीय चुने गए।

समापन समारोह में जिलाधिकारी दीपेश कुमार, उप विकास आयुक्त संजय कुमार निराला, एडीएम निशांत, और कला पदाधिकारी स्नेहा झा सहित कई अधिकारियों ने विजेताओं को मेडल एवं प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया तथा राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन की शुभकामनाएँ दीं।

निर्णायकों ने संगीत और कला में अभ्यास को अनिवार्य बताते हुए कहा कि “साधना का कोई शॉर्टकट नहीं होता, निरंतर तन्मयता ही सफलता की कुंजी है।” दूसरे दिन अमृता कुमारी टीम ने छठ गीत और विवाह गीत, जबकि ओबीसी गर्ल्स समूह ने लोकगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को प्रभावित किया।

कार्यक्रम में निर्णायक के रूप में विज्ञान मेला में ज्योति मनी, कुल शेखर मेहता व मोहम्मद दानिश; चित्रकला में प्रज्ञा रंजन, अरुण पाराशर और मणिकांत; तथा अन्य विधाओं में डॉ. रेनु सिंह, मुक्तेश्वर सिंह, मुख्तार आलम, विजय वर्मा, संगीताचार्य गणेश पाल, विकास कुमार और वीरभद्र कुमार शामिल रहे।

प्रतिभागियों ने यह भी बताया कि इस वर्ष कथक, शास्त्रीय संगीत गायन-वादन, सुगम संगीत और तबला वादन जैसी विधाओं को शामिल न किए जाने से कई कलाकार प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सके।

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