फेडरेशन ऑफ झारखंड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की कंस्ट्रक्शन एवं इंफ्रा उप समिति की बैठक हाल ही में चैम्बर भवन में संपन्न हुई। बैठक में राज्य के विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों जैसे पीएचईडी, ग्रामीण कार्य विभाग, जुडको आदि में कार्यरत संवेदकों के लंबित भुगतानों को लेकर गंभीर चर्चा की गई। सदस्यों ने बताया कि पिछले डेढ़ वर्षों से संवेदकों को उनका भुगतान नहीं किया गया है, जिससे वे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। बैठक में यह भी उजागर किया गया कि जिन कार्यों को संवेदकों ने पूर्ण कर लिया है, उनके सुरक्षा जमा (सिक्योरिटी डिपॉजिट) भी अभी तक रिफंड नहीं किए गए हैं। ग्रामीण कार्य विभाग में लगभग 12 हजार करोड़ रुपये के नए टेंडर जारी किए गए हैं, जबकि सरकार पर 5 हजार करोड़ रुपये की पुरानी देनदारियाँ अभी भी लंबित हैं। इस स्थिति के मद्देनजर, उप समिति ने सुझाव दिया कि लंबित भुगतानों के समाधान के लिए अनुपूरक बजट में विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए।
चैम्बर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने संवेदकों की चिंताओं को वास्तविक मानते हुए कहा कि वे शीघ्र ही विभागीय सचिव से मिलकर इस मुद्दे में आवश्यक पहल करेंगे। उन्होंने बताया कि संवेदकों के साथ लाखों कामगार और उनके परिवार जुड़े हैं और यदि संवेदक राज्य छोड़ते हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर गंभीर असर पड़ेगा। मल्होत्रा ने राज्य के बजट का आकार बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने के बाद अब बजट को 3 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने की आवश्यकता है। कंस्ट्रक्शन एवं इंफ्रा उप समिति के चेयरमैन रवि राज अग्रवाल ने कहा कि राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में संवेदकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। लगातार लंबित भुगतानों के कारण उनकी कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है और यदि सुरक्षा जमा रिफंड समय पर नहीं हुआ तो कई बड़ी परियोजनाएं बाधित हो सकती हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस मामले को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए शीघ्र समाधान किया जाए।
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि झारखंड चैम्बर और बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त प्रयासों से लंबित भुगतानों और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए पहल की जाएगी। बैठक में चैम्बर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, उप समिति चेयरमैन रवि राज अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष किशोर मंत्री, सदस्य अशोक प्रधान, अजय सिंह, मुकेश सिंह, गुरदीप सिंह समेत कई संवेदक उपस्थित थे। उप समिति की इस बैठक ने राज्य में संवेदकों की परेशानियों और लंबित भुगतानों के गंभीर मुद्दों को उजागर किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संवेदकों को समय पर भुगतान और सुरक्षा जमा रिफंड नहीं किया गया, तो राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास की गति प्रभावित होगी। इस बैठक से यह भी स्पष्ट हुआ कि झारखंड चैम्बर इस मुद्दे पर निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
इस तरह, राज्य सरकार और संबंधित विभागों के लिए यह बैठक एक चेतावनी भी है कि संवेदकों के हितों की अनदेखी लंबे समय में इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

