राजद विधायक दल की बैठक में तेजस्वी बनाए गए नेता, चुनावी हार और परिवारिक विवाद दोनों बने चुनौती

Ravikant Upadhyay

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने समीक्षा और रणनीति पर मंथन तेज कर दिया है। सोमवार को पटना में आयोजित विधायक दल की बैठक में तेजस्वी यादव को सर्वसम्मति से नेता चुना गया। बैठक तेजस्वी के निवास पर आयोजित हुई, जिसमें पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, राज्यसभा सांसद मीसा भारती सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। हालांकि, बैठक समाप्त होने से पहले ही लालू प्रसाद और राबड़ी देवी बाहर निकल गए, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चा शुरू हो गई।

बैठक में चुनावी प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा की गई। राजद नेताओं ने हार के लिए चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैये, ईवीएम में गड़बड़ी और प्रशासनिक दखल जैसे आरोप लगाए। बैठक में विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र की सीटों पर पार्टी के कमजोर प्रदर्शन पर चिंता जताई गई। माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा इस चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर खिसक गया। सीमांचल से जुड़े नेताओं से मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी और स्थानीय मुद्दों पर फीडबैक लिया गया। इस चुनाव में 243 सीटों में से एनडीए ने 202 सीटें हासिल कीं, जबकि राजद ने 143 सीटों पर मैदान में उतरकर केवल 25 सीटें जीतीं — जो 2020 के मुकाबले बेहद कमजोर प्रदर्शन है।

लालू परिवार में कलह से पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं

चुनावी हार के बीच लालू परिवार में विवाद ने राजद के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। बैठक में रोहिणी आचार्य के हालिया विवादित पोस्ट का मुद्दा आधिकारिक रूप से नहीं उठा, मगर नेता इससे अछूते नहीं रहे। रोहिणी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि किडनी दान करने के बाद उन्हें टिकट और पैसों का लालच देकर अपमानित किया गया। उन्होंने लिखा कि उन्हें “अनाथ बना दिया गया” और साथ ही विवाहित महिलाओं को यह संदेश दिया कि “अगर पिता का बेटा हो, तो पिता को बचाने की गलती न करें।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सार्वजनिक मंच पर ऐसा विवाद राजद की छवि को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर उस समय जब पार्टी जनाधार बचाने की कोशिश कर रही है।

एनडीए ने किया हमला, तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल

राजद की अंदरूनी कलह पर एनडीए पहले ही हमलावर हो चुका है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तेजस्वी यादव पर सीधा निशाना साधते हुए कहा – “जो अपने घर की महिलाओं का सम्मान नहीं रख सके, वे बिहार का भविष्य कैसे सुरक्षित करेंगे?” उन्होंने आगे कहा, “तेजस्वी की पहचान आज जो भी है, वह केवल लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की वजह से ही है।”

चुनावी हार और पारिवारिक विवादों से घिरा राजद अब अपने अस्तित्व और भविष्य की राजनीति के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। तेजस्वी को अब न केवल संगठन को एकजुट रखना है, बल्कि यह भी साबित करना होगा कि वह अकेले नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।

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