पटना : 14 नवंबर को बिहार की धरती पर लोकतंत्र का महायुद्ध समाप्त हो चुका है. दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में 67.13% रिकॉर्ड मतदान के साथ 24.3 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक निर्णायक के रूप में जन प्रतिनिधि को चुनकर लाने का अपना असली काम कर चुकी है. आज, 14 नवंबर 2025 को वोटों की गिनती के साथ सस्पेंस खत्म होने को है और NDA की सुनामी ने सबको चौंका दिया है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA बहुमत के आंकड़े को आसानी से पार करता दिख रहा है. जहां JD(U) अकेले 76 सीटों पर आगे चल रही है, BJP के 84, चिराग पासवान की LJP(RV) के 23 और जीतन राम मांझी की HAM के 4. कुल मिलाकर NDA 190+ सीटों पर लीड कर रही है, जो 122 के बहुमत से कहीं ज्यादा है. नीतीश का पांचवां कार्यकाल लगभग तय माना जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन (RJD-Congress-Left) की उम्मीदें धुंधली होते दिख रही है. लालू यादव, तेजस्वी यादव की RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी सिर्फ 34 सीटों पर सिमटती दिख रही है, वहीं कांग्रेस महज 6 पर. अगर कुल मिलकर देखा जाए तो 48-55 सीटों तक सिमट चुका है महागठबंधन. वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज को भी उम्मीद से ज्यादा निराशाजनक 1-5 सीटें ही मिल सकती हैं और AIMIM जैसी पार्टियां तो लगभग पर्दा से गायब हीं नजर आ रही हैं.

