“अमेरिका पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता” – रघुराम राजन

Ravikant Upadhyay

नई दिल्ली -भारत और अमेरिका के रिश्ते इन दिनों एक नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे समय में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर और शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रघुराम राजन ने एक बयान देकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। राजन ने कहा है कि अमेरिका ने भारत के साथ जिस तरह का बर्ताव किया है, उससे “भरोसे की बुनियाद कमजोर हो गई है।” एक हालिया अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में बोलते हुए राजन ने कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया है, जबकि पाकिस्तान पर यह केवल 19% है। “इतना बड़ा फर्क भारत कभी नहीं भूल पाएगा। अमेरिका अब भरोसेमंद नहीं रहा,” उन्होंने साफ शब्दों में कहा।

राजन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, इंडो-पैसिफिक रणनीति और व्यापारिक समझौतों पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा, “यह कैसे संभव है कि एक तरफ आप भारत के साथ सैन्य साझेदारी की बात करें, और दूसरी तरफ उसे दुनिया का सबसे ज़्यादा टैक्स झेलने वाला देश बना दें?” कई विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अमेरिका की यह नीति विरोधाभासी है। भारत अब तक संयम की नीति अपनाए हुए है—न तो कोई प्रतिशोधी कदम उठाया है और न ही कड़े बयान दिए हैं। लेकिन अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो भारत को भी नई रणनीति अपनानी पड़ सकती है।

राजन ने डोनाल्ड ट्रंप की नीति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ट्रंप बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “ग्रेट फ्रेंड” कहते हैं, लेकिन उसी समय भारत पर सबसे ऊँचे टैरिफ लगा देते हैं। “अगर यही दोस्ती है, तो फिर दुश्मनी कैसी होगी?” राजन ने कहा। अमेरिका का रुख अब चीन की ओर झुकता हुआ भी दिखाई दे रहा है। ट्रंप द्वारा “जी-2” (G2) साझेदारी — यानी अमेरिका और चीन के बीच नई समझ — का जिक्र भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। इस कदम से भारत को मिलने वाले रणनीतिक और आर्थिक फायदे पर असर पड़ सकता है।

दूसरी ओर, भारत ने रूस से और अधिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान ने यह संकेत दिया है कि भारत अपने हितों के लिए स्वतंत्र नीति पर चलता रहेगा, चाहे अमेरिका को यह पसंद आए या नहीं। राजन ने कहा, “ऐसे फैसले लोगों के दिमाग में लंबे समय तक रहते हैं। जब भरोसा एक बार टूट जाता है, तो उसे फिर से बनाना मुश्किल होता है।” कुल मिलाकर, राजन का बयान भारत-अमेरिका रिश्तों पर गहराई से सोचने का मौका देता है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दोनों देश व्यापारिक मतभेदों को सुलझा पाते हैं या फिर रिश्तों में यह दरार और गहरी होती है।

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