नयी दिल्ली, 04 अक्टूबर (लाइव 7) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को ज्ञान और कौशल का देश बताते हुए शुक्रवार को कहा कि भारतीयों की बौद्धिक क्षमता देश की सबसे बड़ी शक्ति है।
श्री मोदी ने यहां कौशल दीक्षांत समारोह में युवावों के लिए 62,000 करोड़ रुपये की पहलों का शुभारंभ किया, जिनमें पीएम सेतु योजना और नवोदय तथा एकलव्य मॉडल विद्यालयों में कौशल प्रयोगशाला योजना शामिल है। कौशल विकास मंत्रालय के तत्वावधान में विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में देश भर से लाखों विद्यार्थी और कौशल प्रशिक्षु जुड़े। कार्यक्रम बिहार केन्द्रित था।
प्रधानमंत्री ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री जयंत चौधरी की उपस्थिति में देश भर में आईटीआई (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंंग इंस्टिट्यूट) की विभिन्न विधाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मान-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री जुएल ओ , राजीव रंजन सिंह, सुकांत मजूमदार और अन्य गणमान्य व्यक्ति वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़े थे।
मोदी सरकार ने कौशल विकास की अपनी महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के साथ आईटीआई छात्रों के लिए बड़े पैमाने पर दीक्षांत समारोह आयोजित करने की शुरुआत की है। श्री मोदी ने आज के दिन को एक यादगार बताया और कहा कि यह समारोह भारत द्वारा कौशल विकास को दी जाने वाली प्राथमिकता का प्रतीक है।
श्री मोदी ने कहा कि आज घोषित 60,000 करोड़ रुपये की पीएम सेतु योजना के तहत, आईटीआई अब उद्योगों के साथ और अधिक मजबूती से एकीकृत होंगे। नवोदय विद्यालयों और एकलव्य मॉडल स्कूलों में 1,200 कौशल प्रयोगशालाओं के शुरू होने से युवा भविष्य के कार्यों के लिए तैयार होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ जैसे-जैसे कौशल बढ़ता है, राष्ट्र आत्मनिर्भर बनता है, निर्यात बढ़ता है और रोज़गार के अवसर बढ़ते हैं। ”
उन्होंने याद दिलाया कि 2014 से पहले, भारत को ‘नाज़ुक पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था, जहां विकास दर कम थी और रोज़गार सृजन सीमित था। आज, भारत विनिर्माण और रोज़गार में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ शीर्ष तीन वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर अग्रसर है।
श्री मोदी ने मोबाइल फ़ोन, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण और निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस उछाल से बड़े उद्योगों और एमएसएमई में उल्लेखनीय रोज़गार सृजन हुआ है, जिससे आईटीआई प्रशिक्षित युवाओं सहित सभी को काफ़ी लाभ हुआ है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मुद्रा योजना ने करोड़ों युवाओं को अपना उद्यम शुरू करने में मदद की है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोज़गार योजना के कार्यान्वयन की घोषणा की, जिससे लगभग 3.5 करोड़ युवाओं को निजी क्षेत्र में रोज़गार प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
श्री मोदी ने कहा कि पहले आज के इस कार्यक्रम को दीक्षांत समारोह के रूप में आयोजित किया जाना था, पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस अवसर को एक विशाल उत्सव बनाने का प्रस्ताव रखा और यह यह एक भव्य समारोह में बदल गया। प्रधानमंत्री ने इसी मंच से बिहार के युवाओं के लिए कई योजनायें और परियोजनायें समर्पित कीं, जिनमें वहां एक नये कौशल प्रशिक्षण विश्वविद्यालय की स्थापना, अन्य विश्वविद्यालयों में सुविधाओं का विस्तार, एक नये युवा आयोग का गठन और हज़ारों युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र जारी करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि ये पहल बिहार के युवाओं के उज्जवल भविष्य की गारंटी हैं। श्री मोदी ने कहा कि बिहार में युवा सशक्तिकरण के लिए आज का यह विशाल कार्यक्रम राज्य के युवाओं और महिलाओं के प्रति उनकी सरकार की प्राथमिकता को और भी दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत ज्ञान और कौशल का देश है, और यह बौद्धिक शक्ति इसकी सबसे बड़ी संपत्ति है, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कौशल और ज्ञान राष्ट्रीय आवश्यकताओं के साथ जुड़ते हैं और उन्हें पूरा करने में योगदान देते हैं, तो उनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।”
उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में देश की आवश्यकताओं के अनुसार स्थानीय प्रतिभा, स्थानीय संसाधनों, स्थानीय कौशल और स्थानीय ज्ञान को तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस काम में उन्होंने देश में चल रहे हज़ारों आईटीआई की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान में, आईटीआई लगभग 170 ट्रेडों में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, और पिछले 11 वर्षों में, 1.5 करोड़ से ज़्यादा युवाओं ने इन विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने इस बात पर गर्व प्रकट किया को युवाओं को ये कौशल स्थानीय भाषाओं में प्रदान किए जाते हैं, जिससे बेहतर समझ और सुगमता संभव होती है। इस वर्ष, अखिल भारतीय ट्रेड परीक्षा में 10 लाख से ज़्यादा छात्र-छात्राओं ने भाग लिया, और प्रधानमंत्री को इस कार्यक्रम के दौरान उनमें सबसे श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले करीब 45 छात्र छात्राओं को प्रधानमंत्री के हाथों सम्मानित किया गया जिनमें कई दिव्यांग हैं। उन्होंने इनमें बेटियों और दिव्यांग साथियों की उपस्थिति पर प्रकाश डाला और समर्पण व कड़ी मेहत से अर्जित उनकी कड़ी मेहनत की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत के आईटीआई न केवल औद्योगिक शिक्षा के लिए प्रमुख संस्थान हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए कार्यशालाओं के रूप में भी काम करते हैं।” उन्होंने कहा कि सरकार आईटीआई की संख्या बढ़ाने और उन्हें लगातार उन्नत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 2014 तक देश में 10,000 आईटीआई थे, पिछले एक दशक में लगभग 5,000 नये आईटीआई स्थापित किये गये हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आईटीआई नेटवर्क को वर्तमान उद्योग कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने और अगले 10 वर्षों में भविष्य की मांगों का अनुमान लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण और बाजार की आवश्यकता के संयोजन को मजबूत करने के लिए, उद्योग और आईटीआई के बीच समन्वय बढ़ाया जा रहा है। पीएम सेतु योजना से पूरे भारत में 1,000 से ज़्यादा आईटीआई संस्थान लाभान्वित होंगे। इस पहल के ज़रिए, आईटीआई को नयी मशीनरी, उद्योग प्रशिक्षण विशेषज्ञों और वर्तमान व भविष्य की कौशल ज़रूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम से उन्नत किया जायेगा।
श्री मोदी ने कहा, “ पीएम सेतु योजना भारतीय युवाओं को वैश्विक कौशल आवश्यकताओं से भी जोड़ेगी।”
प्रधानमंत्री ने बिहार का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी शायद पूरी तरह से समझ नहीं पायेगी कि दो-ढाई दशक पहले बिहार की शिक्षा व्यवस्था कितनी बदहाल थी। न तो स्कूल ईमानदारी से खोले गये और न ही भर्तियां की गयीं। मजबूरी में लाखों बच्चों को बिहार छोड़कर वाराणसी, दिल्ली और मुंबई जैसी जगहों पर पलायन करना पड़ा। उन्होंने इसे पलायन की असली शुरुआत बताया।
श्री मोदी ने कहा कि जिस पेड़ की जड़ें सड़ चुकी हों, उसे पुनर्जीवित करना एक कठिन कार्य है। उन्होंने विपक्ष के कुशासन के तहत बिहार की स्थिति की तुलना ऐसे ही एक पेड़ से की। उन्होंने कहा कि सौभाग्य से, बिहार की जनता ने श्री नीतीश कुमार को शासन की ज़िम्मेदारी सौंपी और गठबंधन सरकार की पूरी टीम ने पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को बहाल करने के लिए मिलकर काम किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का कार्यक्रम उस बदलाव की एक झलक पेश करता है।
बिहार को एक नया कौशल विश्वविद्यालय मिलने पर संतोष व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने इस विश्वविद्यालय का नाम भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखा है। भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने अपना पूरा जीवन जनसेवा और शिक्षा के विस्तार के लिए समर्पित कर दिया और समाज के सबसे वंचित वर्गों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि उनके सम्मान में नामित कौशल विश्वविद्यालय इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य की उनकी सरकारें बिहार के शैक्षणिक संस्थानों के आधुनिकीकरण के लिए लगातार काम कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि आईआईटी पटना में बुनियादी ढांचे का विस्तार शुरू हो गया है, और बिहार भर के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों का आधुनिकीकरण भी शुरू हो गया है।
श्री मोदी ने घोषणा की कि एनआईटी पटना का बिहटा परिसर अब प्रतिभाशाली छात्रों के लिए खोल दिया गया है। पटना विश्वविद्यालय, भूपेंद्र मंडल विश्वविद्यालय, छपरा स्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय और नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय में नये शैक्षणिक बुनियादी ढांचों के विकास की नींव रखी गयी हैं।
बिहार सरकार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से छात्रों का समर्थन कर रही है और अब इस योजना के तहत शिक्षा ऋण को ब्याज मुक्त बनाने का एक बड़ा निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि छात्रों की छात्रवृत्ति 1,800 से बढ़ाकर 3,600 रुपये कर दी गयी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है और बिहार युवाओं के उच्चतम अनुपात वाले राज्यों में से एक है।” सरकार बिहार के युवाओं को और सशक्त बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है। बिहार के शिक्षा बजट में कई गुना वृद्धि की गई है। आज, बिहार के लगभग हर गांव और बस्ती में एक स्कूल है, और इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में बिहार के 19 ज़िलों में केंद्रीय विद्यालयों को मंज़ूरी दी है। एक समय था जब बिहार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल बुनियादी ढाँचे का अभाव था, लेकिन आज राज्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन हो रहे हैं।
पिछले दो दशकों में, बिहार सरकार ने राज्य के भीतर 50 लाख युवाओं को रोज़गार के अवसरों से जोड़े जाने का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हाल के वर्षों में ही बिहार के युवाओं को लगभग 10 लाख स्थायी सरकारी नौकरियाँ प्रदान की गई हैं। राज्य में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती चल रही है। पिछले दो वर्षों में बिहार में 2.5 लाख से ज़्यादा शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
उन्होंने कहा कि राज्य का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में पिछले दो दशकों में पैदा हुए रोज़गार के अवसरों से दोगुने रोज़गार के अवसर पैदा करना है। इसका संकल्प स्पष्ट है, बिहार के युवाओं को बिहार में ही नौकरी और काम मिलना चाहिए।
.श्रवण
लाइव 7
भारत ज्ञान, कौशल का देश है, बौद्धिक क्षमता हमारी सबसे बड़ी शक्ति : मोदी
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