पणजी, 26 नवंबर (लाइव 7) प्रशंसित छायाकार के.के सेंथिल कुमार का कहना है कि फिल्म निर्माण चुनौतियों से भरा है,और यदि आप चुनौतियों का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो बेहतर है कि फिल्म निर्माण में न आयें।
मगधीरा से लेकर ईगा और बाहुबली से लेकर आरआरआर तक, प्रशंसित छायाकार के.के सेंथिल कुमार लेंस के पीछे का
वह व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने दुनिया भर के फिल्म ियों के लिये कई मेगा फिल्मों को कुशलतापूर्वक दृश्यमान रूप से आश्चर्यजनक मास्टरपीस में बदल दिया है। इन ब्लॉकबस्टर्स में लुभावने कैमरा मूव, जीवंत रंगों का कुशल उपयोग, कॉन्ट्रास्ट शेडो और बेहतरीन प्रकाश व्यवस्था, भव्य दृश्य कहानी को भावनात्मक जुड़ाव के साथ संतुलित करने के अलावा एक्शन, ड् ा और कल्पना को सहजता से एकाकार करने की उनकी क्षमता को दर्शाती है।
सेंथिल कुमार ने सोमवार को गोवा में 55वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में वीएफएक्स को सिनेमैटोग्राफी के साथ एकीकृत करना विषय पर एक मंत्रमुग्ध करने वाले ‘इन-कन्वर्सेशन’ सत्र में अपने विचार और जीवन-यात्रा के अनुभव साझा किए। सत्र का संचालन प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक शंकर कृष्णन ने किया।
सत्र को संबोधित करते हुये सेंथिल ने स्पष्ट रूप से फिल्म निर्माण को एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माण चुनौतियों से भरा है। यदि आप चुनौतियों का सामना नहीं करना चाहते हैं, तो बेहतर है कि आप फिल्म निर्माण में न आएं। उन्होंने इन चुनौतियों को स्वीकार करने के महत्व पर जोर दिया खासकर वीएफएक्स जैसी उभरती हुई तकनीकों के क्षेत्र में, जिसे वे एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में देखते हैं, जिसने दृश्य कहानी को बढ़ाकर सिनेमैटोग्राफर का काम आसान बना दिया है। उन्होंने कहा कि वीएफएक्स ने सिनेमैटोग्राफर का जीवन आसान बना दिया है और एआई-संचालित वीएफएक्स भविष्य के रूप में उभर रहा है। उन्होंने रचनात्मक सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी की क्षमता पर भी अपने विचार व्यक्त किये।
हालांकि, सेंथिल ने तकनीकी प्रगति को वे किस तरह से देखते हैं, इस पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा, “ मैं तकनीक के खिलाफ़ नहीं जाना चाहता। मैं अपने काम के साथ तकनीक को एकीकृत करना चाहता हूं और इसे आगे बढ़ना चाहता हूं। ”
उन्होंने कहा कि यह दर्शन उनकी सफलता का अभिन्न अंग रहा है, क्योंकि वे लगातार पारंपरिक सिनेमाई तकनीकों को वीएफएक्स के साथ मिलाकर इमर्सिव और विज़ुअली डायनेमिक अनुभव पेश करने की कोशिश करते हैं।
अपनी रचनात्मक प्रक्रिया पर विचार करते हुये, सेंथिल ने प्रत्येक कहानी की अनूठी आवश्यकताओं को समझने के महत्व पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, “ हर कहानी अपने आप में अनूठी होती है। यह महत्वपूर्ण है कि आप दर्शकों को अपनी कहानी कैसे बताते हैं। मैं कहानी और उसकी ज़रूरतों को समझने और उसके अनुसार शूटिंग की योजना बनाने के लिए प्री-प्रोडक्शन चरण के दौरान अधिक समय लेता हूं। उन्होंने अपने काम पर बातचीत करते हुये कहा कि एक सिनेमैटोग्राफर को वीएफएक्स निर्देशक के साथ मिलकर काम करना चाहिये, ताकि ऐसी छवियां बनायी जा सकें जो कथा को आगे बढ़ायें और साथ ही
दृश्य प्रभावों की तकनीकी मांगों को पूरा करें। ”
.श्रवण
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