कज़ान,23 अक्तूबर (लाइव 7) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स को वैश्विक समस्याओं के हल खोजने और बहुपक्षवाद के एक प्रभावी मंच के रूप में उभरने पर संतोष व्यक्त करने के साथ इस बात के लिए आगाह किया है कि कहीं संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम वैश्विक संस्थाओं में सुधार नहीं, बल्कि उन्हें हटा कर नयी व्यवस्था लाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के सीमित पूर्ण सत्र में अपने वक्तव्य में यह बात कही। उन्होंने कहा,“ हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में उत्तर दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है।
श्री मोदी ने कहा,“ महंगाई की रोकथाम, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, जल सुरक्षा, सभी देशों के लिए प्राथमिकता के विषय हैं। और, टेक्नोलॉजी के युग में, साइबर सुरक्षा, डीप फेक, मिथ्या सूचना जैसी नई चुनौतियाँ बन गई हैं। ऐसे में, ब्रिक्स को लेकर बहुत अपेक्षाएं हैं।मेरा मानना है कि एक विविधतापूर्ण और समावेशी प्लेटफॉर्म के रूप में, ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है। इस संदर्भ में हमारी कार्यशैली जन केंद्रित रहनी चाहिए।हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, जनहितकारी समूह है।”
उन्होंने कहा,” हम युद्ध नहीं, संवाद एवं कूटनीति का समर्थन करते हैं। और, जिस तरह हमने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।”
श्री मोदी ने कहा,“ आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के लिए हम सभी को एक मत हो कर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है। हमारे देशों के युवाओं में कट्टरपन को रोकने के लिए हमें सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि के लंबित मुद्दे पर हमें मिलकर काम करना होगा। उसी तरह साइबर सुरक्षा, सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमन के लिए काम करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि भारत नए देशों का ब्रिक्स साझीदार देश के रूप में स्वागत करने के लिए तैयार है। इस संबंध में सभी निर्णय सर्वसम्मति से होने चाहिए और ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों के विचारों का सम्मान करना चाहिए। जोहानेसबर्ग शिखर-सम्मेलन में जो दिशानिर्देशक सिद्धांत, मानक, मानदंड और प्रक्रियाओं को हमने अपनाया था, उनका पालन सभी सदस्य और साझीदार देशों को करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा,“ ब्रिक्स ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखता है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज़ उठानी चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंक, विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।”
श्री मोदी ने आगाह किया, “ब्रिक्स के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम वैश्विक संस्थाओं में सुधार नहीं, बल्कि उन्हें हटा कर नयी व्यवस्था लाना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों की ओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। वाॅयस आफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन और अपनी जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने इन देशों की आवाज को वैश्विक मंच पर रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा,” मुझे खुशी है कि ब्रिक्स के अंतर्गत भी इन प्रयासों को बल मिल रहा है। पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों को ब्रिक्स से जोड़ा गया। इस वर्ष भी रूस द्वारा अनेक ग्लोबल साउथ के देशों को आमंत्रित किया गया है।”
उन्होंने कहा,“ विभिन्न प्रकार के विचारों और विचारधाराओं के संगम से बना ब्रिक्स समूह, आज विश्व को सकारात्मक सहयोग की दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। हमारी विविधता, एक दूसरे के प्रति सम्मान, और सर्वसम्मति से आगे बढ़ने की परंपरा, हमारे सहयोग का आधार हैं। हमारी यह गुणवत्ता और ‘ब्रिक्स स्पिरिट’ अन्य देशों को भी इस मंच की ओर आकर्षित कर रही है।”
श्री मोदी ने कहा, “मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भी, हम सब मिलकर इस अनूठे प्लेटफार्म को संवाद, सहयोग और समन्वय का उदाहरण बनाएंगे। इस संदर्भ में, ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत अपने दायित्वों का हमेशा निर्वाहन करता रहेगा।”
उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की वजह से दुनिया का ध्यान इस वक्त कजान पर है। रूस के तातारस्तान प्रांत की राजधानी कजान इस समिट की मेजबानी कर रहा है।
,
लाइव 7
ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है:मोदी
Leave a comment
Leave a comment