नयी दिल्ली 24 नवंबर (लाइव 7) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता अभियान को निरंतर चलने वाला अभियान बताते हुए आज कहा कि इसके कारण देशवासियों खासकर सरकारी दफ्तरों में लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है और अब वे स्वदायित्व की भावना से ना सिर्फ साफ-सफाई कर रहे हैं बल्कि रिसाइकिलिंग से धन भी अर्जित कर रहे हैं।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में सरकारी कार्यालयों में आये बदलाव पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “आपने देखा होगा, जैसे ही कोई कहता है ‘सरकारी दफ्तर’ तो आपके मन में फाइलों के ढ़ेर की तस्वीर बन जाती है । आपने फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ देखा होगा। सरकारी दफ्तरों में इन फाइलों के ढ़ेर पर कितने ही मजाक बनते रहते हैं, कितनी ही कहानियां लिखी जा चुकी हैं। बरसों-बरस तक ये फाइलें ऑफिस में पड़े-पड़े धूल से भर जाती थीं, वहां, गंदगी होने लगती थी – ऐसी दशकों पुरानी फाइलों और कबाड़ को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। आपको ये जानकर खुशी होगी कि सरकारी विभागों में इस अभियान के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं। साफ-सफाई से दफ्तरों में काफी जगह खाली हो गई है। इससे दफ्तर में काम करने वालों में एक स्वदायित्व का भाव भी आया है। अपने काम करने की जगह को स्वच्छ रखने की गंभीरता भी उनमें आई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा, कि जहां स्वच्छता होती है, वहां, लक्ष्मी जी का वास होता है । हमारे यहाँ ‘कचरे से कंचन’ का विचार बहुत पुराना है। देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं । तरह-तरह के नवान्वेषण कर रहे हैं। इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं। ये युवा अपने प्रयासों से टिकाऊ जीवनशैली को भी बढ़ावा दे रहे हैं । मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास, वाकई बहुत प्रेरक है । अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियाँ, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं । आप भी जानते हैं कपड़ों की कटाई-सिलाई के दौरान जो कतरन निकलती है, इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है । अक्षरा और प्रकृति की टीम उन्हीं कपड़ों के कचरे को फैशन उत्पाद में बदलती है। कतरन से बनी टोपियां, बैग हाथों-हाथ बिक भी रही है।”
उन्होंने साफ-सफाई को लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर में जारी एक अच्छी पहल की जानकारी साझा करते हुए कहा कि कानपुर कुछ लोग रोज सुबह की सैर पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले प्लास्टिक और अन्य कचरे को उठा लेते हैं। इस समूह को ‘कानपुर प्लॉगर्स ग्रुप’ नाम दिया गया है। इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया। शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं। इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं। इस कचरे से रिसाइकिल संयंत्र में ट्री गार्ड तैयार किए जाते हैं, यानि, इस ग्रुप के लोग कचरे से बने ट्री गार्ड से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं।
उन्होंने एक और उदारण देते हुए कहा, “छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है। इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है। इतिशा कारपोरेट दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं। पर्यटकों की वजह से वहां काफी प्लास्टिक कचरा जमा होने लगा था। वहां की नदी जो कभी साफ थी वो प्लास्टिक कचरे की वजह से प्रदूषित हो गई थी। इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। उनके ग्रुप के लोग वहां आने वाले सैलानियों को जागरूक करते हैं और प्लास्टिक कचरे को जमा करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयासों से भारत के स्वच्छता अभियान को गति मिलती है। ये निरंतर चलते रहने वाला अभियान है। उन्होंने लोगों से अपील की कि उनके परिवेश में आस-पास भी ऐसा जरूर होता ही होगा। अत: वे ऐसे प्रयासों के बारे में उन्हें जरूर लिखते रहें।
लाइव 7
साफ सफाई को लेकर देशवासियों में आयी स्वदायित्व की भावना : मोदी
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