देहरादून, 23 अक्टूबर (लाइव 7) हिमालय पर्वत की श्रृंखलाओं में बसे देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद अंतर्गत, मां यमुनोत्री मंदिर और जनपद रुद्रप्रयाग में भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए गुरुवार को बन्द हो गए।
हिन्दू पंचांग गणना के अनुरूप भैया दूज, कार्तिक शुक्ल सप्तमी, अनुराधा नक्षत्र के पावन अवसर पर, वैदिक मंत्रोच्चारण और सेना के वाद्य यंत्रों की भक्तिपूर्ण मधुर धुनों के बीच इन दोनों पवित्र धामों के कपाट बंदी की प्रक्रिया संपन्न हुई।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस अवसर पर यमुनोत्री धाम से सम्बद्ध पंडा पुरोहितों, के अलावा, कुल 132 भक्त कपाट बन्द होने की प्रक्रिया के साक्षी रहे। यहां इस यात्रा वर्ष में कुल 6 लाख, 44 हजार 637 लुओं ने माता यमुना जी के दर्शन किए हैं। जबकि भगवान श्री केदार नाथ मंदिर में आज कुल 11,415 पंजीकृत लु कपाट क्रिया के दौरान उपस्थित रहे। अभी तक सम्पूर्ण यात्रा काल में यहां कुल 17 लाख 68 हजार 795 पंजीकृत भक्त कपाट खुलने के बाद से दर्शन कर चुके हैं। अब इन दोनों के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली और ओंकारेश्वर मंदिरों में हो सकेंगे। यहां भी उनके दर्शनों की मान्यता ग्रीष्मकालीन दर्शनों की भांति ही है।
यमुनोत्री धाम के कपाट आज विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य शीतकाल के लिए बन्द कर हो गये। कपाट बंदी प्रक्रिया अपराह्न 12 बजकर 30 मिनट पर सम्पूर्ण हुई। कपाट बंद होने की परंपरा के अनुसार, खरसाली गाँव से समेश्वर देवता (शनिदेव) की डोली मां यमुना को लेने धाम पहुंची। कपाट बंद होने के बाद शनिदेव की अगुवाई में मां यमुना की भोग मूर्ति और उत्सव डोली, ढोल नगाड़ों और शंखनाद के बीच शीतकालीन प्रवास खरसाली गद्दीस्थल मंदिर के लिए रवाना की गयी।
इससे पहले सुबह ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा श्री केदार नाथ धाम के कपाट भी प्रातः 08:30 बजे विधिवत रूप से बंद हो गए। इस अवसर पर आम पंजीकृत 11,415 लुओं के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस प्रक्रिया के साक्षी रहे। कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को पुष्पों से भव्य रूप में सजाया गया। सेना के बैंड की भक्ति धुनों और ‘जय बाबा केदार’ के जयघोष के साथ मंदिर परिसर भाव से गूंज उठा।
कपाट बंद करने की प्रक्रिया के अंतर्गत, ब्रह्म मुहुर्त में मुख्य पुजारी बागेश लिंग एवं आचार्यगणों द्वारा यज्ञ, हवन एवं समाधि पूजन किया गया। तत्पश्चात भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को स्थानीय पुष्पों—कुमजा, बुकला, राख, ब्रह्म कमल, सूखे पुष्प-पत्रों से ढककर समाधि रूप दिया गया। इसके बाद गर्भगृह के द्वार ‘जय बाबा केदार’ के उदघोष के साथ शीतकाल को बंद किए गए। कपाट बंद होने के पश्चात, मुख्यमंत्री श्री धामी की उपस्थिति में मंदिर के पूर्वी व दक्षिणी द्वार विधिवत बंद किए गए। इसके उपरांत, भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर की परिक्रमा कर, प्रथम पड़ाव पुर के लिए प्रस्थान कराया गया। सेना के बैंड, डोली वाहकों, पुजारियों और लुओं के जयघोषों से संपूर्ण धाम गुंजायमान हो उठा।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश-विदेश से आए सभी लुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन के अनुरूप केदारपुरी का भव्य और दिव्य पुनर्निर्माण कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में चारधाम यात्रा के अंतर्गत, रिकॉर्ड 50 लाख से अधिक लुओं ने धामों के दर्शन किए हैं। उन्होंने कहा कि कपाट बंद होने के पश्चात शीतकालीन यात्रा को भी राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि लु चार धामों के शीतकालीन गद्दी स्थलों में भी पूजा अर्चना कर सकें। उन्होंने सभी लुओ से शीतकाल में भी चारों धामों के गद्दी स्थलों में आकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का आग्रह किय। शीतकाल में भी लुओं के यात्रा करने से स्थानीय व्यापारियों, होमस्टे एवं होटल चालकों आदि की आजीविका निरंतर गतिमान रहेगी।
श्री धामी ने यात्रा से जुड़े सभी विभागों, सुरक्षा बलों, मंदिर समिति, स्थानीय नागरिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और लुओं का आभार व्यक्त किया तथा इस वर्ष की यात्रा को सफल, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाए रखने के लिए सभी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष केदारनाथ यात्रा का संचालन अत्यंत सुचारु एवं सफलतापूर्वक हुआ। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कुल 17,68,795 लुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए, जो पिछले वर्ष 2024 के 16,52,076 तीर्थयात्रियों की तुलना में लगभग सवा लाख अधिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान प्राकृतिक आपदा को छोड़कर संपूर्ण यात्रा अवधि में व्यवस्थाएं सुचारु रहीं। शीतकालीन अवधि में भी श्री केदारनाथ धाम में सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ रहेगी और शीतकालीन पूजाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा।
कपाट बंद होने के पश्चात बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली आज प्रस्थान कर प्रथम पड़ाव पुर में रात्रि विश् के लिए पहुंच गई। अब कल शुक्रवार सुबह को डोली श्री विश्वनाथ मंदिर, गुप्तकाशी पहुंचेगी, जहां रात्रि विश् के पश्चात शनिवार, 25 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
कपाट बंद समारोह के अवसर पर स्थानीय विधायक नौटियाल, जिला पंचायत अध्यक्ष, रुद्रप्रयाग पूनम कठैत, बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, भाजपा जिलाध्यक्ष भारत भूषण भट्ट, कृषि विपणन बोर्ड अध्यक्ष अनिल डब्बू, बीकेटीसी उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, जिलाधिकारी प्रतीक जैन, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, एवं अन्य लोग भी मौजूद थे।
सुमिताभ
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वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच बंद हुए बाबा केदार व मां यमुनोत्री धाम के कपाट
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