विश्व बैंक ने त्रिपुरा, नागालैंड में वन प्रबंध में सुधार की 22.55 करोड़ डाॅलर की परियोजना मंजूर की

Live 7 Desk

नयी दिल्ली, 26 नवंबर (लाइव 7) विश्व बैंक ने त्रिपुरा और नागालैंड के 400 से अधिक गांवों में वन, आर्द्र भूमि आदि के अच्छे प्रबंध तथा लकड़ी को छोड़ कर वन आधारित अन्य प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए 22.55 करोड़ डॉलर की परियोजना के वित्त पोषणा के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
विश्व बैंक के यहां स्थानीय कार्यालय की मंगलवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार उसके कार्यकारी निदेशक मंडल ने सोमवार को इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी। इस परियोजना से एक लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र का प्रबंध बेहतर होगा और वनों पर आश्रित सात लाख से अधिक लोगों को लाभ होगा। बयान में कहा गया है कि इस परियोजना का उद्देश्य निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में अगरवुड, बांस और शहद जैसे वन उत्पादों के माध्यम से समुदायों के लिए आर्थिक अवसर खोलना है।
परियोजना के लिए विश्व बैंक की रियायती वित्तपोषण एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (आईबीआरडी) से 12 वर्ष की परिपक्वता का कर्ज मिलेगा। जिसमें 4.5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है। परियोजना को अंतराष्ट्रीय प्रोग्रीन कार्यक्रम के तहत 24 लाख डालर के अनुदान का लाभ भी लाभ होगा।
भारत में विश्व बैंक के निदेशक ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, “यह परियोजना लकड़ी को छोड़ कर वन पर आधारित अन्य आर्थिक गतिविधियों में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित रोजगार सृजन के लिए वनों का लाभ उठाने, वन की कार्बन सिंक क्षमता को बढ़ाने और अंततः त्रिपुरा और नागालैंड में आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में योगदान करने में योगदान देगी।”
विज्ञप्ति के मुताबिक वन परिदृश्य प्रबंधन की एन्हांसिंग लैंडस्केप एंड इकोसिस्टम मैनेजमेंट (एलीमेंट) परियोजना एक लाख हेक्टेयर से अधिक वन को संरक्षित और पुनर्स्थापित करने में मदद करेगी, जिससे आर्थिक परिवर्तन के लिए वन-आधारित उत्पादन श्रृंखलाओं को बढ़ावा मिलेगा और प्रति वर्ष लगभग 435,000 टन कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकेगा। इस परियोजना से मृदा संरक्षण प्रणाली भी सशक्त होगी और जल उपलब्धता बढ़ेगी।
बयान के मुताबिक इस परियोजना के तहत परियोजना का उद्देश्य पर्यटन और प्रकृति गाइडों के लिए प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से वन-आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं और महिलाओं के लिए 60,000 नौकरियां पैदा करने का भी लक्ष्य है।
बयान में कहा गया है इन दोनों प्रदेशों में लगभग 15 लाख क्षेत्र फैला वन क्षेत्र वहां की ग् ीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से की आजीविका का आधार है, लेकिन पिछले एक दशक में, राज्यों ने वन क्षेत्र में कमी का अनुभव किया है, जिससे जैव विविधता और वन-निर्भर समुदायों के हितों को खतरा है।
परियोजना के लिए टास्क टीम के नेता पीयूष डोगरा और राज गांगुली ने कहा, “इस परियोजना में पारंपरिक वनों से आगे बढ़कर घास के मैदानों, आर्द्रभूमि और कृषि भूमि जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है, ताकि सामुदायिक लाभ को अधिकतम किया जा सके। इससे ग् ीण और वन-निर्भर समुदायों की जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता में सुधार होगा ।”
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लाइव 7

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