फारूक अब्दुल्ला ने अडानी रिश्वत के आरोपों की विस्तृत जांच की मांग की

Live 7 Desk

श्रीनगर, 21 नवंबर (लाइव 7) नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को गौतम अडानी और अन्य लोगों से जुड़े रिश्वत के आरोपों की विस्तृत जांच की मांग की।
श्री अब्दुल्ला उन रिपोर्टों का जवाब दे रहे थे जिनमें कहा गया है कि अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य लोगों पर सौर ऊर्जा अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को कथित रूप से रिश्वत देने या रिश्वत की पेशकश करने का आरोप लगाया है।
पूर्व सांसद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र सरकार आरोपों की गंभीरता को समझते हुए इसकी गहन जांच करेगी।
नेकां अध्यक्ष ने कहा कि “उन्हें जांच करनी चाहिए कि यह कैसे हुआ और इसके पीछे का क्या कारण है?” श्री अब्दुल्ला ने कहा कि अडानी पर पहले भी आरोप लगे हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता। मैं बस इतना कह सकता हूं कि जांच होनी चाहिए।”
श्री अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार के हर आरोप की सरकार जांच करेगी क्योंकि रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद प्रदेश के अधिकारी भी कटघरे में हैं।
ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही हैं कि अडानी ग्रीन ने बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को बाजार से ज्यादा दरों पर सौर ऊर्जा खरीदने के लिए जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य राज्यों के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी।
श्री अब्दुल्ला ने कहा, “हम कई चीजें जानते हैं और कई चीजों की जांच होगी। जांच में सब खुलासा हो जाएगा।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भी जल शक्ति योजना में 3000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। उन्होंने कहा, “धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, सब कुछ सामने आ जाएगा।”
पिछले वर्ष, एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी ने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक प्रमुखों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और कथित घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की थी।
नेशनल कांफ्रेंस के सांसद रूहुल्लाह मेहदी की विवादित जम्मू-कश्मीर आरक्षण नीति का विरोध करने की धमकी के बारे में पूछे जाने पर श्री अब्दुल्ला ने कहा कि यह लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही को दर्शाता है।
श्री अब्दुल्ला ने कहा, “गुंडाराज का युग समाप्त हो गया है। नागरिकों को अब अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से सवाल करने और अपने मुद्दों के समाधान की मांग करने का अधिकार है। लोगों ने अपना काम कराने के लिए हमें वोट दिया है और उन्हें यह बताने का पूरा अधिकार है कि हम कहां गलत हैं।”
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