दोहा शिखर सम्मेलन में मंडाविया ने कहा, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग बंद करे

Live 7 Desk

नयी दिल्ली, 05 नवंबर (लाइव 7) केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने दोहा में सामाजिक विकास के लिए दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग नहीं करने की नसीहत देते हुये भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा में भारत की परिवर्तनकारी प्रगति पर प्रकाश डाला।
श्री मंडाविया ने बुधवार को अपने संबोधन में पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा कल (मंगलवार) भारत के संबंध में अनुचित संदर्भों और टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुये कहा कि भारत के खिलाफ इस प्रकाऱ का दुष्प्रचार फैलाना दुनिया का ध्यान सामाजिक विकास से हटाना और अंतरराष्ट्रीय मंच का दुरुपयोग है।
श्री मंडाविया ने कहा, “हम इस मामले को स्पष्ट करना चाहते हैं कि सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान ने निरंतर शत्रुता और सीमापार आतंकवाद के माध्यम से इस संधि की भावना को कमजोर किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत की वैध परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए संधि तंत्र का बार-बार दुरुपयोग किया है।”
श्री मंडाविया ने स्पष्ट किया कि जहां तक जम्मू और कश्मीर का सवाल है, पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर पाकिस्तान पर भारत के नागरिकों के खिलाफ सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप भी लगाया।
श्री मंडाविया ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के बजाय आत्मचिंतन करना चाहिए और विकास से जुड़ी अपनी गंभीर चुनौतियों का समाधान करना चाहिए, जिसकी वजह से वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद पर निर्भर हो गया है।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारत ने 30 साल पहले कोपेनहेगन घोषणा में आम जनता को विकास के केंद्र में रखा था, जो गरीबी उन्मूलन, पूर्ण रोजगार और बेहतर काम और सामाजिक समावेश पर ध्यान केंद्रित था। उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण इस घोषणा के आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति के प्रति मेल खाता है।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारत की विकास गाथा बड़े पैमाने पर परिवर्तन की कहानी है। पिछले 10 वर्षों में लगातार सुधारों, कल्याणकारी कार्यक्रमों के समन्वय और डिजिटल नवाचार के माध्यम से लगभग 25 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया है।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारत की यात्रा अंत्योदय के गहन दर्शन से निर्देशित है, जिसका अर्थ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति जीवन-चक्र आधारित ढांचे का परिणाम है, जहां एक बच्चे को स्वस्थ आधार मिलता है, एक युवा वयस्क को शिक्षा और आजीविका के लिए सहायता मिलती है, एक श्रमिक को अच्छा काम मिलता है और एक बुजुर्ग को वृद्धावस्था में सम्मान और आय सुरक्षा की गारंटी मिलती है।
श्री मंडाविया ने बताया कि आज भारत में 11.8 करोड़ स्कूली बच्चों को पौष्टिक मिड डे मील मिलता है, 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की गई है। 42.5 करोड़ भारतीयों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही कम आय वालों को 3.7 करोड़ से अधिक घर उपलब्ध कराये गये हैं।
श्री मंडाविया ने अपने संबोधन में कहा कि 2017-18 और 2023-24 के बीच हमारी बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत से घटकर 3.2 प्रतिशत हो गई है और महिलाओं की रोजगार दर लगभग दोगुनी हो गई है। इसके अलावा लाखों महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया गया है। वहीं ऋण वितरण ने इन महिला-नेतृत्व वाली स्थानीय संस्थाओं की शक्ति को और बढ़ाया है।
श्री मंडाविया ने भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में 19 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत होने की जानकारी देते हुये बताया कि हमारे प्रयासों को मान्यता देते हुए, इंटरनेशनल सोशल सिक्योरिटी एसोसिएशन (आईएसएए) ने इस वर्ष भारत को “सामाजिक सुरक्षा में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए आईएसएए पुरस्कार” से सम्मानित किया है।
उन्होंने बताया कि बैंक खातों, मोबाइल इंटरनेट स्वामित्व और विशिष्ट नागरिक पहचान पत्रों के नेटवर्क के माध्यम से केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से अंतिम छोर तक कुशल वितरण सुनिश्चित किया है।
श्री मंडाविया ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन में हम जो राजनीतिक घोषणापत्र अपना रहे हैं, वह वैश्विक प्राथमिकताओं के अनुरूप है, विशेष रूप से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और सहकारिताओं को समावेशी विकास के इंजन के रूप में मान्यता देना है।
हमारी आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के मार्ग सतत विकास लक्ष्यों और जलवायु परिवर्तन संबंधी हमारी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों के एजेंडे पर अडिग हैं।
श्री मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्र “सबका साथ, सबका विकास” से हम प्रेरित हैं। हमारा मानना है कि सामाजिक प्रगति तभी संभव है जब नीति के मूल में लोग रहें, जब नवाचार और समावेशिता का मेल हो और जब विकास एक साझा प्रयास बन जाए।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारत का विकास पथ ग्लोबल साउथ के लिए एक अनुकरणीय विकास मॉडल प्रस्तुत करता है। जैसे-जैसे हम सामूहिक रूप से सामाजिक विकास के भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, भारत अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने के लिए तैयार है।
श्री मंडाविया ने कहा, “मैं संयुक्त राष्ट्र और कतर सरकार की सराहना करता हूं, जिन्होंने इस सामयिक सम्मेलन का आयोजन किया, जो वैश्विक नेतृत्व को सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण और समावेशी विश्व के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।”
तिवारी, मधुकांत
लाइव 7

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