इटावा, 31 दिसंबर (लाइव 7) उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में पहुंचे हजारों प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार की आशंका के चलते हाई अलर्ट जारी किया है।
राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के इटावा स्थित रेंज अधिकारी के.के.त्यागी ने यूनीलाइव 7 को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अमूमन देखा गया है कि जब कभी प्रवासी पक्षियों का आगमन राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी क्षेत्र में होता है तो अवैध शिकार की भी आशंकाएं कहीं न कहीं बढ़ जाती है और इन्हीं सब को देखते हुए चंबल सेंचुरी में हाई अलर्ट जारी किया गया है ताकि शिकारी किसी भी प्रवासी पक्षी का अवैध शिकार करने में कामयाब न हो सकें।
श्री त्यागी ने बताया कि चंबल सेंचुरी के अधिकारियों को सतत निगरानी के निर्देश देने के साथ साथ अपने-अपने इलाके में नियमित निगरानी रखने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि वनवचारों से लेकर के स्थानीय गुप्तचर को भी सक्रिय किया गया है जिन के जरिए अवैध शिकारियों की सूचनाओं चंबल सेंचुरी के अधिकारियों तक पहुंचती है।
श्री त्यागी ने बताया कि मेहमान पक्षियों की आवक से सतर्कता बढ़ा दी गई है। पिछले वर्ष लगभग चार हजार से अधिक परिंदे आए थे। इस वर्ष इनकी संख्या बढ़ सकती है। प्रदेश में नवंबर से विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। यह पक्षी हजारों किलोमीटर दूर से चंबल नदी में प्रजनन की अनुकूलता के चलते आते हैं। पक्षियों की रखवाली के लिए सहसों घाट से लेकर भरेह संगम तक निरंतर रखवाली की जा रही है। सेंचुरी में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा म्यांमार से विदेशी पक्षी आ रहे हैं।
राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी की वादियों में विदेशी पक्षियों का करलव गूंज रहा है और 425 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली इस सेंचुरी में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है । अब हवासीर (पेलिकन), राजहंस (फ्लेमिंगो), समन (बार हेडेटबूल) जैसे विदेशी पक्षी चार महीने मार्च तक यहीं डेरा जमाए रहेंगे । इन आकर्षक पक्षियों को देखने वालों की तादात भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। ये पक्षी ज्यादातर चीन, यूरोप और सेंट्रल एशिया से आते हैं। पक्षियों का कलरव रोमांचित करने के साथ उर्जा देने वाला होता है और यदि यह कलरव चंबल सेंचुरी के अलावा आसपास के इलाकों में भी प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां मन को खूब भा रही है। यहां प्रवासी पक्षी बरबस पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं । इन स्थलों पर प्रवासी पक्षियों का डेरा सुंदरता व दृश्य को और भी मनोरम बना देता है। साइबेरिया, रूस, मलयेशिया से हजारों मील की दूरी तय करके विदेशी पक्षी चंबल सेंचुरी क्षेत्र सहसों, भरेह, पचनद, लालपुरा, बंसरी, पाली, छिबरौली, पथर्रा, बबाइन पुल, खेड़ा अजब सिंह में आना शुरू हो गए हैं। नदी तट पर इन परिंदों का कलरव लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रहा है।
मौसम अनुकूल होने के कारण यह काल इन पक्षियों के प्रजनन के लिए उपयुक्त होता है। नदी किनारे विदेशी मेहमान पक्षी अंडे देते हैं। गर्मी आने से पहले बच्चों सहित अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं। विदेशी मेहमान पक्षियों की रखवाली के लिए नदी किनारे कांबिंग बढ़ा दी गई है। लगभग चार से पांच हजार पक्षी प्रत्येक वर्ष नदी किनारे आते हैं। इन पक्षियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोग व सैलानी भरेह व पचनद संगम पहुंचते हैं। सुनसान रेत पर घंटों बैठकर इन पक्षियों की अठखेलियों में खो जाते हैं।
साइबेरियन पक्षी सात समुंदर पार से लगभग 2000 किलोमीटर का सफर तय कर यहां आते हैं। इस दूरी को तय करने में उन्हें करीब एक महीने का समय लगता है। अभी रूडी शेलडक, पेंटेड स्टॉर्क, विसलिंग टील, ब्लैक आइबिस, बार हेडेड गूज, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, प्लेसिस गल, टेल टिंगो, काबोर्नेट आदि पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है।
सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ. राजीव चौहान ने जताई कि इस बार चंबल में प्रवासी पक्षियों की संख्या में काफी वृद्धि होने की संभावना है। अब तक प्रवासी पक्षियों में कामनटील, नार्दन शिवेलर, ग्रेट कारमोरेंट, टफटिड डक, पोचार्ड आदि दर्जनों प्रजातियों के सुंदर संवेदनशील पक्षी यहां पहुंच चुके हैं। इसके अलावा इटावा के छोटे-छोटे वेटलैंडों के अलावा खेत खलिहानों व यमुना क्वारी, सिंधु जैसी नदियों में भी प्रवासी पक्षियों के झुंड आकर्षण बने हुए हैं।
सं.
लाइव 7
इटावा में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में ‘हाई अलर्ट’
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