मुंबई 06 अक्टूबर (लाइव 7) इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच चीन के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा से हुई भारी बिकवाली के दबाव में बीते सप्ताह साढ़े चार प्रतिशत तक लुढ़के घरेलू शेयर बाजार की चाल अगले सप्ताह भी इन्हीं कारकों के साथ ही कंपनियों की दूसरी तिमाही के नतीजों और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से तय होगी।
सात से नौ अक्टूबर तक रिजर्व बैंक की नवगठित मौद्रिक नीति समिति की बैठक होगी जिसमें नीतिगत दरों को यथावत बनाये रखने की उम्मीद की जा रही है। रिजर्व बैंक लगातार नौ बार से नीतिगत दरों को यथावत हुये हैं और 10वीं बार भी इन दरों में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं की जा रही है क्योंकि महंगाई का जोखिम अभी भी कम नहीं हुआ है और हाल के दिनों में महंगाई विशेषकर खुदरा महंगाई में तेजी देखी गयी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कोई बदलाव करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उसका लक्ष्य महंगाई को चार प्रतिशत के दायरे में लना है। पिछले कुछ महीने से महंगाई में आयी राहत में फिर से तेजी दिखने लगी है जिस पर रिजर्व बैंक की नजर रहेगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 3883.4 अंक अर्थात 4.5 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिवस पर करीब एक माह के निचले स्तर 81688.45 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 1164.35 अंक यानी 4.5 प्रतिशत की बड़ी गिरावट लेकर सप्ताहांत पर 25014.60 अंक रह गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी जमकर बिकवाली हुई। इससे मिडकैप 1583.58 अंक अर्थात 3.2 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 47906.74 अंक और स्मॉलकैप 1146.05 अंक यानी 2.00 प्रतिशत कमजोर होकर 55945.31 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों के अनुसार, निफ्टी और सेंसेक्स दोनों के क्रमश: 26000 और 85000 के नए रिकॉर्ड स्तर अल्पकालिक थे क्योंकि मध्य-पश्चिम की प्रतिकूल परिस्थितियों और चीन के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा से अन्य एशियाई बाजारों में शेयरों के सस्ते होने से इन बाजारों की ओर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के तेज निवेश प्रवाह ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। इससे बीते सप्ताह के दौरान घरेलू बाजार में कई बेंचमार्क सूचकांकों में चार प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। एफआईआई ने इस महीने अब तक
बाजार से 30,719.57 करोड़ रुपये निकाल लिए।
इस दौरान ऑटो, बैंक, इन्फ्रा और ऊर्जा जैसे समूहों का प्रदर्शन कमजोर रहा। हालांकि अमेरिकी फेड रिजर्व के मौद्रिक नीति में ढील देने के बाद राजस्व और खर्च पर बेहतर धारणा के कारण आईटी समूह पर प्रभाव कम रहा। वहीं, चीन के प्रोत्साहन पैकेज का स्थानीय स्तर पर धातु शेयरों पर कुछ प्रभाव पड़ा।
इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण तेल की कीमतों में उछाल से इनपुट लागत बढ़ सकती है और इससे घरेलू कंपनियों की आय प्रभावित हो सकती है। पेंट क्षेत्र पर इसका असर पड़ने की संभावना है क्योंकि इसका कच्चा माल मुख्यतः कच्चे तेल पर आधारित है। हालांकि हाल की कीमत वृद्धि और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में मांग में तेजी की उम्मीद एशियन पेंट्स में निवेश का अवसर प्रदान करेगी।
वित्तीय निवेश सलाहकार कंपनी जिओजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “बाजार में सुदृढ़ीकरण का दौर देखने को मिल सकता है क्योंकि ऊंचे भाव और प्रतिकूल मैक्रो स्थिति निवेशकों को तेजी पर बिकवाली की रणनीति अपनाने के लिए प्रभाव डाल सकती है।”
इसके अलावा अगले सप्ताह टीसीएस और इरेडा समेत कई दिगगजं कंपनियों के वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही और पहली छमाही के परिणाम जारी होने वाले है। बाजार को दिशा देने में इनकी कारकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
(संपादक कृपया शेष पूर्व प्रेषित से जोड़ ले)
, शेखर
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इजराइल-ईरान तनाव और मौद्रिक नीति से तय होगी बाजार की चाल
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