जयपुर, 18 अगस्त (लाइव 7) उपराष्ट्रपति जगदीप धरखड़ ने अंगदान किया जाना मानव स्वभाव का सर्वोच्च नैतिक उदाहरण बताते हुए रविवार को कहा कि अंगदान को कमजोर वर्ग के लोगों के शोषण का क्षेत्र नहीं बनाया जा सकता ।
श्री धनखड़ ने अंगदान करने वालों के परिजनों के सम्मान में यहां बिरला सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि भारत की संस्कृति बलिदानियों की संस्कृति है।
उपराष्ट्रपति ने प्राचीन संस्कृत सूक्ति , “इदम्शरीरम्परमार्थसाधनम्!” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह शरीर व्यापक सामाजिक कल्याण का साधन बन सकता है। उन्होंने नागरिकों से अंगदान के प्रति जागरूक प्रयास करने का आग्रह किया और कहा कि मानव शरीर समाज कल्याण का साधन बन सकता है परंतु “ अंगदान को व्यावसायिक लाभ के लिए कमजोर वर्ग के शोषण का क्षेत्र नहीं बनने दिया जा सकता ।”
उन्होंने कहा कि अंगदान एक आध्यात्मिक गतिविधि और मानव स्वभाव का सर्वोच्च नैतिक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह कार्य शारीरिक उदारता से परे है जो करुणा और निस्वार्थता के सबसे गहन अर्थों को दर्शाता है।
उन्होंने नागरिकों से अंगदान के प्रति जागरूक प्रयास करने और इसे मानवता की सेवा की महान परंपरा के अनुरूप एक मिशन में परिवर्तित करने का आग्रह किया।
इस बार विश्व अंगदान दिवस की थीम, “आज किसी की मुस्कान का कारण बनें” पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने लोगों को अंगदान के महान उद्देश्य के लिए व्यक्तिगत और पारिवारिक प्रतिबद्धता की रचना करने के लिए प्रोत्साहित किया।
जोरा ,
लाइव 7
अंगदान को कमजोर वर्ग के शोषण का क्षेत्र नहीं बनने दिया जा सकता-धनखड़
Leave a comment
Leave a comment