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रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस ने देश में निर्मित कोरोना की दवा कोवैक्सीन की ब्राजील में हो रही जांच को लेकर केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए मंगलवार को कहा कि इस जांच पर सरकार ने अबतक चुप्पी क्यों साध रही है। कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डॉ0 राजेश गुप्ता छोटू ने आज यहां यहां कहा कि कोरोना की वैक्सीन को लेकर भाजपा सरकार का जो रवैया रहा है, उससे कई सवाल उठे, कई सवाल पैदा हुए, चाहे राज्यों पर भार डाला हो,या फिर 18 प्लस वाले को पहले फ्री वैक्सीन नहीं देना हो और कीमतें अलग-अलग रखनी की बात हो। भाजपा की इन हरकतों ने लोगों को व्यथित भी किया और संशय भी पैदा किया। ये संशय तब और सही साबित होता नजर आता है, जब ब्राजील के उच्चतम न्यायालय ने वैक्सीन की डील में भ्रष्टाचार की जांच की अनुमति दी है।
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प्रवक्ताओं ने कहा कि कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने भारत सरकार की संस्था आईएमसीआर के सहयोग से मिलकर तैयार किया है। इस वैक्सीन की बिक्री से लाभ का पांच फीसदी हिस्सा सरकारी खजाने में जाता है, लेकिन इस डील में किसी तरह की गड़बड़ी होना इसकी चपत देश के खजाने को लगती है। भारत बायोटेक ने ब्राजील की प्रसिसा मेडिकामेन्टोस के 320 मिलियन डॉलर में 2 करोड़ डोज खरीद को लेकर समझौता किया, ये डील तब हुई, जब निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस डील में पहला आरोप है कि कीमत बेहताशा बढ़ोत्तरी करना है, जिस वैक्सीन के एक डोज की कीमत पहले 1.34 प्रति डॉलर थी, उसकी वैक्सीन की खरीद का अंतिम सौदा 15 डॉलर पर हुआ।
डॉ. दूबे ने कहा कि इस डील में दूसरा आरोप है कि ंिसगापुर की मेडीसन बायोटेक, जिसका फाउंडर भारत बायोटेक ही है, ने ब्राजील सरकार से ंिसगापुर के एकाउंट में 45 मिलियन डालर का एडवांस चाहा था। अब जिस कंपनी का डील से कोई लेना-देना ही नहीं है, तो एडवांस क्यों मांग रही थी। इस पूरी डील में एक बात निकल कर यह भी सामने आयी है कि भारत बायोटेक वैक्सीन कम दाम में मेडिसीन बायोटेक को बेचता था। इस वजह से आईसीएमआर को लाभ कम मिलता था, यानी देश के खजाने को चपत लगती थी। अब जब देश के खजाने को चपत लग रही है और प्रधान से लेकर पूरी सरकार चुप है, तो सवाल उठता ही है कि दाल में काला है या पूरी दाल काली है।
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