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रांची: झारखंड में आतंक का पर्याय रहे सम्राट गिरोह के सरगना जयनाथ साहू ने लापुंग थाने में 14 अप्रैल 2013 में दर्ज आर्म्स एक्ट के एक मामले में जयनाथ साहू ने सरेंडर किया है. जयनाथ साहू कि आत्मसमर्पण याचिका रांची सिविल कोर्ट में अधिवक्ता प्रितांशु कुमार सिंह ने जज कमलेश बेहरा की अदालत में दायर की थी. जिसपर सुनवाई हुई और कोर्ट ने आत्मसमर्पण याचिका याचिका को स्वीकार करते हुए. जयनाथ साहू को 5 सितंबर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है. पिछले दो दशकों तक वह राजधानी रांची, खूंटी, गुमला और सिमडेगा में आतंक का पर्याय रहा था. सम्राट गिरोह के खिलाफ चार जिलों में व्यवसायियों की हत्या और अपहरण के कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. वह मूल रूप से रांची जिला के लापुंग का रहने वाला है.
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सम्राट गिरोह का कभी राजधानी रांची सहित कई जिलों बोलती थी तूती
कभी रांची रेंज के चार जिले रांची, खूंटी, सिमडेगा व गुमला में सम्राट गिरोह की तूती बोलती थी.गिरोह के सरगना जयनाथ साहू का नाम सुनते ही ठेकेदारों, क्षेत्र के व्यवसायियों में हड़कंप मच जाता था। हत्या, रंगदारी, मारपीट, आगजनी के दर्जनों मामले में सम्राट गिरोह का नाम सामने आता था. अब यह गिरोह पिछले एक दशक से निष्क्रिय पड़ा हुआ है. अलग राज्य बनने के बाद ही दिनेश गोप के झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) के जवाब में जयनाथ साहू ने सम्राट गिरोह के नाम से अपना आपराधिक गिरोह खड़ा किया था. जेएलटी ही बाद में चलकर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (पीएलएफआइ) बना था. तब उक्त क्षेत्र में सम्राट गिरोह व जेएलटी में अक्सर खूनी संघर्ष होता था. दोनों आपराधिक गिरोह जाति आधारित थी. धीरे-धीरे दिनेश गोप का वर्चस्व कायम होने लगा. बाद में उसने पीएलएफआइ नामक उग्रवादी संगठन मजबूत कर लिया. पीएलएफआइ के मजबूत होते ही सम्राट गिरोह कमजोर पड़ गया. करीब एक दशक से यह गिरोह निष्क्रिय है. हालांकि, पीएलएफआइ के भी कई बड़े कैडर या तो पकड़े जा चुके हैं या मारे गए हैं. अब दिनेश गोप के सहित गिने-चुने ही बड़े उग्रवादी पीएलएफआइ में सक्रिय हैं, जिनकी पुलिस की खोज जारी है.
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