पश्चिमी सिंहभूम : स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों ही लोगों की पहली प्राथमिकता, मगर दोनों ही विभाग भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी
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उपायुक्त के आदेश के बावजूद नहीं हुई दोषी आपूर्तिकर्ता वार्डन लेखापाल पर कार्रवाई, विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों का मिल रहा है संरक्षण
सरकारी कर्मियों के कस्तूरबा विद्यालय में आपूर्तिकर्ता- सप्लाई करने का मामला गंभीर मामला सामने आने के बावजूद भी आरोपियों पर नहीं हुई कार्रवाई
कस्तूरबा विद्यालय की स्थापना काल से उसी स्कूल में जमे हैं आपूर्तिकर्ता सप्लायर ,यहीं है भ्रष्टाचार और घोटाले की असली वजह
सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का सरकारी कर्मी बना सप्लायर, पूर्व के दागी और घोटालेबाज,
गड़बड़ियों के आरोपी सप्लायरों का कस्तूरबा विद्यालयों पर कब्जा
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चाईबासा : स्वास्थ्य और शिक्षा लोगों पहली प्राथमिकता और जरूरत है। शिक्षा और स्वास्थ्य लोगों का मौलिक अधिकार भी है। मगर यही दोनों शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार- गड़बड़ियों के आकंठ में डूबा है। स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में सरकार द्वारा करोड़ों -अरबों रुपया खर्च किया जा रहा है ।ताकि राज्य की जनता और लोग इसका शत प्रतिशत लाभ मिले ।
मगर यह दोनों ही विभाग लूट भ्रष्टाचार और घोटाले में लिप्त है। लुटेरे ,भ्रष्टाचारी ,दलाल, माफियाओं के चुंगल में है। जिले में स्वास्थ्य विभाग में पीपी किट सहित लाखों- की खरीद में लूट घोटाले भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता को लेकर डीपीएम और जिला लेखा प्रबंधक बर्खास्त हो चुके हैं। इसके बावजूद भ्रष्टाचारियों और सरकारी राशि के लूट घोटाले और कमीशन खोरी करने वाले अधिकारियों -सरकारी कर्मियों का हौसला बुलंद है। शिक्षा विभाग का कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है या यूं कहें कि भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा है ।
भ्रष्टाचार की गंगोत्री बह रही है । जिस उद्देश्य के साथ यह महत्वकांक्षी कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय गरीब -असहाय आदिवासी छात्राओं को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा दिलाने को लेकर शुरू की गई आज उसका उद्देश्य सफल नहीं हो पा रहा है । कस्तूरबा गांधी विद्यालय स्थापना का उद्देश्य आज लूट, भ्रष्टाचार, घोटाले में तब्दील हो गया है सरकार द्वारा गरीब आदिवासी- असहाय छात्राओं को शिक्षा सहित रहने -खाने -कपड़ा आदि के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया खर्च किया जाता है और भारी भरकम सरकारी राशि कस्तूरबा विद्यालय को आवंटित किया जाता है।
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उसी राशि पर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों, आपूर्तिकतार्ओं, वार्डन ,लेखापाल और आपूर्तिकर्ता -दलालों ‘कर्मियों की गिद्ध दृष्टि लग गई है। बीते वर्ष सदर कस्तूरबा में फूड प्वाइजनिंग के बाद तत्कालीन उपायुक्त अरवा राजकमल के निर्देश पर पूरे जिले की कस्तूरबा विद्यालय की जांच कराई गई। जगरनाथपुर की पूर्व एसडीओ स्मिता कुमारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने संयुक्त रूप से जगरनाथपुर कस्तूरबा विद्यालय की जांच की थी जिसमें भारी पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई थी। वार्डन, लेखापाल आपूर्तिकर्ता एवं आपूर्ति प्राप्तिकर्ता केसाथ सांठगांठ कर भारी पैमाने पर खाद्य सामग्रियों में गड़बड़ी, सरकारी राशि की लूट- घोटाला की बात सामने आई थी।
छात्रावास के गोदाम में एक्सपायरी डेट के खाद्य सामग्री पाए गए थे । ओवर राइटिंग कर सामानों की अधिक मात्रा में आपूर्ति कर सरकारी राशि का गबन करने का मामला प्रकाश में आया था साथ ही कई गंभीर मामले सामने आए थे।। एसडीओ ने अपनी जांच रिपोर्ट उपायुक्त को सौंप दी थी उपायुक्त ने विभाग के वरीय अधिकारियों को दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, मगर उपायुक्त के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए विभाग के अधिकारियों ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की उल्टे आपूर्तिकर्ता वार्डन लेखापाल और इसमें शामिल लोको संरक्षण मिलता रहा। कस्तूरबा में गड़बड़ी के आरोपी लेखापाल पर कार्रवाई के बदले पुरस्कृत करते हुए जिला लेखापाल बना दिया गया।
हालांकि विधानसभा में विधायक दीपक बिरुवा द्वारा मामले को उठाए जाने के बाद जिला लेखापाल से हटा कर पुन: जगन्नाथपुर भेज दिया गया। इतना गंभीर मामले होने के बावजूद विभाग के अधिकारियों द्वारा दोषियों पर कार्रवाई नहीं होना कई प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। कमोबेश सभी कस्तूरबा विद्यालय की यही स्थिति है। खाद्य सामग्रियों से लेकर दूध, सब्जी, फल, पोशाक, स्टेशनरी आदि के नाम पर आपूर्तिकतार्ओं ,वार्डन और विभाग के अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर लूट घोटाले सरकारी राशि का गबन का काला गोरखधंधा वर्षों से चलते आ रहा है जो वर्तमान में भी जारी है।
अधिकांश कस्तूरबा विद्यालय की कार्य संस्कृति संदेहास्पद है। इसका इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष खाद्य सामग्रियों ,पोशाक, फल ,दूध, सब्जी ,स्टेशनरी आदि के लिए निविदा निकाली जाती है। मगर 10 -10 , 15- 15 वर्षों से वही आपूर्तिकर्ता उसी विद्यालय में जमे हैं और एक दशक से विद्यालय में आपूर्ति का काम कर रहे हैं। यही भ्रष्टाचार और घोटाले की असली वजह है । खाद्य सामग्रियों पोशाक स्टेशनरी दूध सब्जी जलावन आदि के लिए निविदा सिर्फ आई वास के लिए निकाला जाता है। जबकि अंडर टेबल सब कुछ फाइनल हो जाता है की आपूर्तिकर्तता और सप्लायर कौन- कौन होगा।यही नहीं कस्तूरबा विद्यालय में शिक्षा विभाग के कर्मियों द्वारा भी नियम कानून को ताक पर रखकर अपने और अपनी पत्नी परिवार के लोगों के नाम पर कंपनी- फर्म बनाकर कस्तूरबा विद्यालय में खाद्य सामग्रियों ,सब्जी आदि की आपूर्ति की जाती है जो नियम विरुद्ध है।
कुमारडूंगी कस्तूरबा का लेखापाल दीपक कुमार समर्थ इंटरप्राइजेस, पूर्व जिला लेखा प्रबंधक संदीप कुमार द्वारा समृद्धि इंटरप्राइजेज और भी कई परियोजना कर्मियों द्वारा खुद की और अपने पत्नी , परिजनों के नाम पर कंपनी बनाकर सामग्री आपूर्ति का ठेका लिया गया और सामग्री आपूर्ति के नाम पर लाखों लाख की हेरा फेरी की जा रही है। सरकारी कर्मियों द्वारा अपने और अपने परिवार के लोगों के नाम पर कंपनी बनाकर कस्तूरबा विद्यालयों में सामग्रियों की आपूर्ति करने का मामला प्रकाश में आने के बाद तत्कालीन उपायुक्त ने पूरे मामले की जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जांच कमेटी भी बनी थी उपायुक्त के निर्देश पर जांच कमेटी ने क्या जांच की जांच रिपोर्ट क्या दी गई और आरोपियों पर क्या कार्यवाही की गई आज तक किसी को नहीं पता। जांच टीम के लोग भी चंद पैसे के लोभ लालच में पड़कर बिकते चले जा रहे हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओ – कस्तूरबा जैसे शिक्षा के मंदिर में भ्रष्ट अधिकारियों वार्डन लेखापाल आपूर्तिकतार्ओं सप्लायर के सांठगांठ से भ्रष्टाचार रूपी पाप घोटाले भ्रष्टाचार बढ़ते जा रहे हैं। ताजा मामला एक चर्चित कस्तूरबा विद्यालय में जलावन पर 3 लाख खर्च करने का सामने आ रहा है। जबकि विद्यालय कोरोना लॉकडाउन के कारण बीते वर्ष अप्रैल से ही बंद है सरकार द्वारा थोड़ी छूट देने के बाद विगत 2 -3 माह 9 से 12वीं तक के लिए विद्यालय छात्रावास खुला है। विद्यालय में खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर की भी आपूर्ति की जाती है, वही जलावन के नाम पर 3 लाख से अधिक की राशि का खर्च होना बड़ा लूट और घोटाला है।
कस्तूरबा विद्यालय की स्थापना काल से लेकर अब तक के कस्तूरबा विद्यालयों को आवंटित राशि, छात्राओं की संख्या, खाद्य सामग्रियों, दूध, सब्जी, स्टेशनरी , पोशाक आदि पर की गई खर्च जांच का विषय है। निष्पक्ष जांच हुई तो भारी पैमाने पर लूट- घोटाला और सरकारी राशि का गबन का मामला सामने आएगा साथ ही इसमें शामिल भ्रष्ट अधिकारियों, आपूर्तिकतार्ओं, लेखापाल वार्डन की भी संदिग्ध भूमिका सामने आएगी।
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