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उत्तराखंड : टनल में फंसे मजदूरों को निकालने में अभी और लग सकता है वक्त

पीड़ितो को जिंदा बचाना और समय पर भोजन पहुंचाना प्राथमिकता: गडकरी

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को एक हफ्ता हो चुका है। हादसे के 8वें दिन केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बचाव कार्य का जायजा लेने मौके पर पहुंचे. उस दौरान उन्होनें कहा कि हमारी तरफ से मजदूरो को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे है। ‘इस ऑपरेशन की पहली प्राथमिकता पीड़ितों को जिंदा बाहर निकालना है. बीआरओ द्वारा विशेष मशीनों से पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने की लगातार कोशिश की जा रही है। ‘अगर बरमा मशीन ठीक से काम करती है, तो हम अगले दो से ढाई दिनों में सुरंग में फंसे मजदूरों को तक पहुंच जाएंगे।

 

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पीड़ितो को जिंदा बचाना और समय पर भोजन पहुंचाना प्राथमिकता: गडकरी

 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हम 6 वैकल्पिक उपायों पर काम कर रहे हैं। भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियां और पीएमओ ने भी इस पर खास नजर बना रखी है। सुरंग विशेषज्ञों और बीआरओ अधिकारियों के साथ बैठक की गई है। हमारी प्राथमिकता है कि सुरंग में फंसे पीड़ितों को भोजन, दवा और ऑक्सीजन समय-समय पर उपलब्ध कराई जाती रहे। बड़ी संख्या में सीमा सड़क संगठन और दूसरी एजेंसियों की ओर से लॉजिस्टिक सपोर्ट पहुंचाया जा रहा है। मजदूरों को सुरंग में फंसे 7 दिन हो चुके है। उम्मीद है कि 2 से 3 दिन में मजदूरों को तक पहुंच जाया जायेगा।

 

12 नवंबर की सुबह हुआ था हादसा

 

गौरतलब है कि 12 नवंबर की सुबह लगभग 5 बजे टनल एकाएक धंस गई थी। जिसमें काम कर रहे बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मजदूर फंस गए थे। टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बन रहा है। इसकी लंबाई करीब साढ़े चार किलोमीटर होगी। टनल के बन जाने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री की दूरी करीब 26 किलोमीटर कम हो जाएगी। टनल की लागत लगभग 850 करोड़ है और मार्च 2024 तक इसका काम पूरा करने का टारगेट है।

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