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मध्यप्रदेश के वरिष्ठ लेखक और आकाशवाणी के सेवानिवृत्त स्टेशन डायरेक्टर जगदीश किंजल्क को आज उनके प्रशंसकों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। उनकी अंत्येष्टि आज कोलार मार्ग स्थित सनखेड़ी विश्राम घाट में हुई। इस अवसर पर विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, लेखक और उनके प्रशंसक मौजूद रहे। आकाशवाणी के उद्घोषक रहे राजुरकर राज ने कहा कि वे प्रसारण सेवाओं में गुणवत्ता का प्रतीक थे। उन्होंने सभी को स्नेह दिया। उनके साथ बिताया समय यादगार रहेगा।
लघु कथा लेखक घनश्याम मैथिल ने कहा कि स्वर्गीय किंजल्क भोपाल में शिक्षक के तौर पर वर्ष 1975 में कार्यरत थे। इसके बाद आकाशवाणी में उनका चयन हुआ। उन्होंने हमेशा सभी को बहुत स्नेह और सहयोग दिया।
जनसंपर्क अधिकारी और लेखक अशोक मनवाणी ने कहा कि उनके 36 वर्ष से श्री किंजल्क से संबंध थे। वे सदैव रचनाकारों को प्रोत्साहित करने का कार्य करते रहे। दिव्य पुरस्कारों के माध्यम से उन्होंने सैकड़ों लेखकों को आगे बढ़ाया।
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दुष्यंत संग्रहालय भोपाल, भोजपाल साहित्य मंच और अनेक संगठनों की तरफ से भी उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी सत्येंद्र खरे और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
स्वर्गीय किंजल्क मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी गुरु रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कुछ वर्ष पूर्व उनका मुख्यमंत्री निवास पर अभिनंदन भी किया गया था। उत्कृष्ट सेवाओं के लिए जगदीश किंजल्क को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला था। वे धर्मयुग और साप्ताहिक हिंदुस्तान के भी लेखक रहे। इनके पिता श्री अंबिका प्रसाद दिव्य देश के प्रसिद्ध साहित्यकारों में शामिल थे।
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