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जीवन के उत्थान में मां, मातृभूमि और मातृभाषा का अतुलनीय योगदान: अमरकांत

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कयूम खान
लोहरदगा: विद्या भारती, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं भारतीय भाषा मंच झारखंड के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर मां मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है। विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसकी प्रस्तावना को रखते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास झारखंड प्रांत के संयोजक अमरकांत झा जी ने कहा कि हमारे जीवन के उत्थान में मां, मातृभूमि और मातृभाषा का अतुलनीय योगदान रहता है। आज जापान, ईरान, जर्मनी जैसे दुनिया के विकसित देश अपनी मातृभाषा के कारण ही दुनिया के अग्रणी देशों में  हैं और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। आज संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी मातृभाषा दिवस को स्वीकार किया है। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि एमिटी विश्वविद्यालय रांची के कुलपति डॉ रमन कुमार झा ने अपने वक्तव्य में कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा मनुष्य को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मातृभाषा से ही हमारी संस्कृति की रक्षा होती है। संस्कृत कई भाषाओं की जननी है परंतु आज 14000 लोग ही उसके बोलने वाले रह गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा भी हम मातृभाषा में प्राप्त कर सकते हैं। आज मैं विद्या भारती का बहुत आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने ऐसे संगोष्ठी का आयोजन कराया है। भाषा जीवित रहेगी तो संस्कृति भी जीवित रह सकती है निरंतर उपयोग से ही भाषा निखरती है। अतः हम व्यक्तिगत जीवन में भी अपनी मातृभाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें। निरंतर उपयोग से ही भाषा निखरती है। इस संगोष्ठी के अध्यक्ष सरला बिरला विश्वविद्यालय रांची के कुलसचिव डॉ विजय कुमार सिंह ने अपने अध्यक्षीय आशीर्वचन में कहा कि इस संगोष्ठी का आयोजन करना ही बहुत बड़ी बात है। भारत सरकार के द्वारा सभी भारतीय भाषाओं को कैसे बचाया जाए उसकी चिंता राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई है। आज चीन, जापान , इजरायल अपनी मातृभाषा के कारण ही अपने संस्कारों को संग्रहित करते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं । मां के आंचल से निकली भाषा मनुष्य को विपत्ति के समय में साहस प्रदान करती है। विश्व के किसी भी देश में प्राथमिक शिक्षा उस देश की मातृभाषा मे होती है आज भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमें भी वह अवसर प्रदान किया है । आज आवश्यकता है  हम अपनी मातृभाषा का अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक प्रयोग करें। साथ ही इस प्रकार की संगोष्ठी समय-समय पर होती रहे।
   इसके पूर्व रामरुद्रा हाई स्कूल बोकारो  से हिंदी भाषा पर श्रीमती निरुपमा झा, मलयालम भाषा पर श्रीमती प्रभा नायर, खोरठा भाषा पर सुरेश नारायण सिंह राठौर , बांग्ला भाषा पर जयदीप सान्याल एवं वैद्यनाथ कुमार जी ने अपने – अपने विचार व्यक्त किए। इस संगोष्ठी का  संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर रजरप्पा प्रोजेक्ट के प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह जी ने किया। इस संगोष्ठी में पूरे झारखंड से लगभग 60 विद्वत जन एवं विभिन्न भाषाओं के मर्मज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र के साथ किया गया।

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