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महुदा: अखिल भारतीय छात्र एवं युवा संगठन ‘युवा भारत’ के बैनर तले पंचायत सचिवालय छत्रुटांड़ में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में दूसरे दिन दलित,आदिवासी,महिलाएं,श्रम कोड,नई शिक्षा नीति,आंदोलन, मीडिया,राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियां पर चर्चा की गई। इस शिविर में सैकड़ो किशोरियों व महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। शिविर के दौरान वक्ताओं ने भारत में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आदिवासी महिलाओ का सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर होने एवं उन्हें किसी भी राष्ट्रीय विकास प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रखने की बात बताई और कहा किस तरह समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता हैं, यधपि उनके अपने परिवार में ही अधिकारों का भी अभाव रहता है। उसके हर व्यव्हार को बेटे से अलग रख कर देखा जाता है। कहा की बेटी को उच्च शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा जाता है और बेटियों के प्रति अभिभावकों का नकारात्मक व्यवहार बढ़ता है और परिवार में बेटी को एक बोझ और एक जिम्मेदारी के रूप में देखता है। यदि बेटी पढ़ लिखकर योग्य बन गयी है और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी हो गयी हैं, फिर भी माता पिता के लिए उसकी शादी के लिए दहेज़ की व्यवस्था करने को मजबूर होना पड़ता है, अनेक कानून होने के बावजूद दहेज़ के दानव से समाज का मुक्त नहीं हो पाना बल्कि दिन प्रतिदिन इसकी मांग बढ़ना चिंतनीय है। सत्र को फातिमा जीनत,जयंती देवी, विजय चावला,कौशिक भारत, प्रसुन्न दास, प्रदीप राय,दिलीप सिंह,दिनेश कु प्रमाणिक,नईम एजाज़, पंसस दिलखुश अंसारी ने संबोधित किया एवं शिविर का संचालन उमेश कुमार तुरी ने किया। उक्त प्रशिक्षण शिविर में रेणु कुमारी,उषा देवी,यशोदा देवी,लक्ष्मी कुमारी,बसंती देवी,देवकी देवी, गुड़िया देवी, अमनजहां खातून, गुलनाज बानो सरिता कुमारी आदि शामिल थी।
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