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मरु महोत्सव की तीसरी सांझ में अनवर एवं मोहित की स्वर लहरियों से सैलानी हुए मंत्रमुग्ध

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जैसलमेर:दुनिया में अपनी अनूठी लोक सांस्कृतिक परंपराओं और एक से बढ़कर एक आकर्षक कार्यक्रमों की वजह से मशहूर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मरु महोत्सव की तीसरी सांझ प्रसिद्ध लोक कलाकार पद्मश्री अनवर खां बईया एवं जाने-माने स्टार इण्डियन प्ले बेक ंिसगर मोहित चौहान की स्वर लहरियों की प्रस्तुतियों से सैलानी मंत्रमुग्ध हो गए।
श्री बईया ने राजस्थान की महिमा पर केन्द्रित प्रसिद्ध राजस्थानी गीत ‘धरती धोरों री’ पेश किया और मातृभूमि के प्रति गर्व एवं गौरव का स्मरण कराते हुए कृतज्ञ भावों का परिचय दिया। अनवर खां ने सूफी गायन को ऊँचाइयां प्रदान करते हुए ‘दमादम मस्त कलन्दर’ के स्वरों पर रसिकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
इसी तरह श्री चौहान की गायकी का आनंद पाने जन सैलाब उमड़ पड़ा और झील के किनारे जमा स्थानीय एवं बाहर से आए पर्यटकों ने उनकी स्वर माधुर्य पर मंत्र मुग्ध हो गए। उनकी आवाज का जादू इतना अधिक पसरा रहा कि लोग झूम-झूम कर साथ गाकर आनंद लेते रहे। उन्होंने ‘जो भी मैं कहना चाहूं’, ‘मसक्कली-मसक्कली’, पी लूं पी लूं तेरे नीले-नीले’ ‘साड़ा हक एथे रख’, ‘नादान परिन्दे घर आ जा’ आदि से सैलानियों को खूब लुभाया।

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