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कृष्ण का उपदेश हर युग में उपयोगी- डॉक्टर प्रेम कुमार

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कृष्ण को पाने के दो मार्ग हैं योगाभ्यास और बैराग। कृष्ण जन्माष्टमी भाद्र कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म बंदी गृह /कारागृह में हुआ था। भगवान कृष्ण का गीता के उपदेश को मानव जीवन में चरितार्थ करने से जीवन सफल माना जाता है। भगवान कृष्ण ने सभी योग योग पर चर्चा की है चाहे वह ज्ञान योग हो, बैरागी योग हो, कर्म योग हो, भक्ति योग हो, धर्म योग हो, राजयोग हो या क्रिया योग हो।श्री कृष्ण जन्माष्टमी उदया तिथि अष्टमी सोमवार 30 अगस्त को अर्ध रात्रि 12:14 तक है। रोहिणी नक्षत्र प्रातः 6:41 से प्रारंभ होकर दिन-रात मिलेंगे तथा संयोगवश सोमवार का दिन मिलता है। कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं त्यौहार सोमवार को विशेष फलदायी है।कृष्ण के कई नाम है नंद गोपाल, माखनचोर, द्वारिकाधीश, रणछोड़, केशव, योगेश्वर आदि ।कृष्ण का रहस्य हम जान ले तो आध्यात्मिक चेतना की उन्नति को प्राप्त कर हम स्वयं ईश्वर से जुड़ जाएंगे। कृष्ण जन्माष्टमी पावन अवसर पर राज्य के सभी लोगों से निवेदन है कि कृष्ण के बताए हुए गीता में उपदेश पर चलकर हम स्वयं के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति तो करेंगे ही, साथ-साथ समाज राष्ट्र का भी कल्याण करेंगे। भगवान कृष्ण के द्वारा किया गया गीता में योगाभ्यास,बैराग्य का उपदेश जीवन में सबसे उपयोगी है। भगवान कृष्ण ने कहा है जो भक्त मुझे भजता है उसके सारे दायित्व मैं लेता हूं। इसलिए जीवन में जब भी कोई विपत्ति आए तो सच्चे मन से जो लोग मेरा स्मरण करेंगे, मुझे पुकारेंगे मैं उन्हें जरूर मदद करूंगा। भगवान कृष्ण की भक्ति में आकर्षण की शक्ति है, जो मानव जीवन को खींचकर प्रभु के निकट ले जाते हैं।भक्ति नहीं तो इस जीवन मे हम कुछ नही कर पाएंगे। हम विश्व के इतिहास में परम पुरुष को प्रथम बार और अद्वितीय रूप में ,आकर्षक रूप में, एकांत रूप में में पाते है।कृष्ण जैसे और कोई नहीं हो सकता। ब्रज भाषा के रूप में नंद यशोदा ने वात्सल्य भाव मे,राधा ने उन्हें पाया मधुर भाव मे,देवतागण उन्हें पाते है संख्या/निर्भीक भाव मे।हमे कृष्ण के बताए मार्ग पर चलने की आज नितांत आवश्यक्ता है।

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