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राम प्रसाद सिन्हा
पाकुड।झारखण्ड राज्य में शासन प्रशासन भले ही नियमो कानूनों को लागू करने के लिए पत्राचार कर रहा लेकिन धरातल पर ठीक इसका उल्टा हो रहा है।ताजा मामला जिले में कोयला का परिवहन करने वाली बीजीआर कम्पनी एवं इसके अधीन चल रहे हाइवा के मालिक एवं सब ट्रांसपोर्टरों द्वारा डीजल के कारोबार से जुड़ा हुआ है।इस नये खेल में जिले के पेट्रोल पंप मालिक एवं कोयला की ढुलाई में शामिल दर्जनो ट्रांसपोर्टर नियमो को ठेंगा दिखाकर माल मार रहे हैं भले ही कोई बड़ी घटना ही क्यों न घट जाए। मिली जानकारी के मुताबिक जिले के महेशपुर,हिरणपुर,अमड़ापाड़ा,पाकुड ,पाकुड़िया के अलावे दुमका जिले के काठीकुंड के पेट्रोल पंप मालिक पेसो नियमो की धज्जी उड़ाते हुए प्रतिदिन डीजल की बिक्री पाँचूवाड़ा नार्थ कोल ब्लॉक के अधीन चल रहे हाइवा मालिको को कर रहे हैं।इस नियम विरुद्ध कारोबार पर रोक लगाने में जिला प्रशासन भी अपने को बौना महसूस कर रहा है ऐसा इसलिए कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के उप महाप्रबंधक एवं खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के सचिव के आदेश का अनुपालन जो नही हो रहा।इस मामले में जिला परिवहन पदाधिकारी संतोष गर्ग ने बताया कि जांचोपरांत नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।यहाँ उल्लेखनीय है को पाँचूवाड़ा नार्थ कोल ब्लॉक में कोयला की खुदाई बीजीआर कम्पनी कर रही है। शुरुआती दौर में बीजीआर बड़े बड़े टैंकरों से डीजल मंगाकर अपने खदान क्षेत्र में ही कोयले की ढुलाई कर रहे हाइवा को डीजल दिया करती थी,।लेकिन बाद में कोयले की ढुलाई में शामिल दर्जनो हाइवा मालिको ने खुद डीजल लाकर अपने वाहनों में डीजल अमड़ापाड़ा पाकुड लिंक रोड पर जहां तहां डीजल भरना शुरू कर दिया।इस दौरान यह भी ख्याल नही रखा जा रहा कि इस ज्वलनशील पदार्थ में यदि अचानक आग लग गयी तो होने वाले नुकसान की भरपाई कौन करेगा।इस मामले का एक आश्चर्यजनक पहलू यह भी है कि हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोशन लिमिटेड ,रांची के उपमहाप्रबंधक रिटेल रीजन सुमंत झा ने पेसो भारत सरकार के स्वीकृत मानक चार से छह हजार लीटर क्षमता वाले टैंकर का जिलों के पेट्रोलियम कम्पनी के खुदरा विक्रेताओं द्वारा डीजल पेट्रोल वितरण के दौरान उपयोग न कर एक से दो हजार वाले टैंकरों के किये जा रहे उपयोग को नियम के प्रतिकूल बताते हुए इसमें शामिल पेट्रोल एवं डीजल के रिटेल आउटलेट्स पर विस्फोटक सुरक्षा संगठन(पेसा) के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया था जिसका अनुपालन अपने पाकुड जिले में नही हो रहा है।इतना ही नही आपूर्ति विभाग के सचिव चंद्रशेखर प्रसाद के जारी आदेश पत्र पर जिला आपूर्ति विभाग ने डीटीओ कार्यालय को पत्राचार कर अपने दायित्वों की इति श्री कर ली, लिहाजा पहले 10 से बारह एक से दो हजार क्षमता वाले टैंकर दिखते थे आज इनकी संख्या दर्जनो में हो गयी है।जानकारों को तो यह भी कहना है कि कोयला उत्तखनन करने वाली कम्पनी बीजीआर,कोयले की ढुलाई करने वाले हाइवा के मालिक एवं ट्रांसपोर्टर ,कुछ पेट्रोल पंप मालिक एवं अधिकारी इस नये कारोबार से अच्छी खासी कमाई कर रहे है।यहां उल्लेखनीय है पंचुवाड़ा कोयला खदान से पाकुड लोटामारा रेलवे साइडिंग तक कोयला लाने का काम प्रतिदिन लगभग चार से पांच सौ हाइवा के जरिये होता है।एक हाइवा दिन में तीन ट्रिप कोयले की ढुलाई करता है।अलबत्ता देखना यह है कि प्रशासन इस नियम विरुद्ध डीजल के कारोबार पर लगाम कबतक लगाता है।बहरहाल जिले यह चर्चा खूब हो रही कि सिस्टम हुआ फेल,ट्रांसपोर्टर पंप मालिक कर रहे डीजल का खेल।
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