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इंटनेशनल डॉग डे पर विशेष: अपराधियों में है ‘रानी’ का खौफ

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झांसी : उत्तर प्रदेश में झांसी पुलिस के श्वान दस्ते (डॉग स्क्वॉड) की एकमात्र सिपहेसालार ‘रानी’ समूचे झांसी मंडल की अकेली खोजी श्वान है जिसने बीते आठ सालों में लगभग 250 आपराधिक मामलों के खुलासे में अपनी खोजी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। नतीजतन इलाके के अपराधी ‘झांसी पुलिस की रानी’ से खौफजदा रहते हैं।
रानी के प्रशिक्षक सिपाही शिवजीत ंिसह यादव ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय श्वान दिवस पर रानी के कारनामों से रूबरू कराया। उन्होंने बताया कि रानी उनके साथ 2013 से कार्यरत है, जब इसे लखनऊ पुलिस मुख्यालय द्वारा श्वान दस्ते में शामिल किया गया था। इसके बाद झांसी के निकट मध्य प्रदेश में टेकनपुर स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (एनडीटीसी) में इसको प्रशिक्षित किया गया।
यादव ने बताया कि ‘जमर्न शैफर्ड’ नस्ल की रानी जब 2013 में महज छह महीने की थी, तभी से उनके साथ है। बहुत जल्द सीखने में माहिर रानी को अपराध और अपराधियों की पहचान करने का हुनर सिखाने के लिये नौ माह का प्रशिक्षण दिया।
उन्होंने बताया कि इस नस्ल के कुत्तों में सूंघने की बहुत तीव्र क्षमता होती है। इसकी मदद से वह अपराधियों की धरपकड़ में पुलिस को बहुत सहयोग करते हैं। रानी इस हुनर में समय के साथ पारंगत होती गयी। झांसी मंडल में रानी एक मात्र खोजी श्वान है। उसके कंधों पर मंडल तीनों जिलों झांसी, जालौन और ललितपुर में पुलिस को अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद करने की जिम्मेदारी है। बीते आठ साल से ‘झांसी पुलिस की रानी’ ने इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह करते हुए अब तक 200 से 250 मामलों में अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी है।
इनमें से कुछ अहम मामलों को याद करते हुए यादव बताते हैं कि जनपद जालौन में कदौरा ब्लॉक के बबीना गांव में एक डबल मर्डर की गुत्थी सुलझाने में रानी ने कमाल का काम किया था। रानी ने अपराधी से संबंधित वस्तुओं को सूंघकर, बेखौफ घूम रहे अपराधी को पकडवाया। उसने वारदात को अंजाम देने के समय अपराधी द्वारा पहने गये खून से सने कपड़ों को भी खोज निकाला। इसके बाद से ही रानी अपराध से जुड़े सबूत जुटाने में भी पुलिस की मदद करने लगी।
इसी तरह झांसी जनपद के लहरचूरा थाने में एक बच्चे की हत्या की गुत्थी को रानी ने ही सुलझाया। अपराधी ने बच्चे की हत्या कर शव को उपलों के ढेर में दबा दिया था। बरामद शव के आसपास की वस्तुओं को सूंघ कर रानी ने गंध के आधार पर गांव के लोगों में से अपराधियों को ंिचहित कर दिया और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई। बाद में अपराधियों ने अपना जुर्म भी कबूल लिया।
उन्होंने बताया कि रानी की देखरेख का पूरा इंतजाम प्रशासन करता है। इसके खाने, रहने, स्वास्थ्य संबंधी जांच से लेकर अन्य सभी प्रकार की सुविधाओं का पूरा इंतजाम है। उन्होंने बताया कि अब रानी पर उम्र का थोड़ा असर दिखने लगा है। कुछ समय पहले इसके एक साथी श्वान की मौत के बाद से इसकी गतिविधियों में कमी आयी है। अभी यह साफ नहीं हो पा रहा है कि यह बढ़ती उम्र का प्रभाव है या साथी के जाने का असर है।
उन्होंने बताया कि कुत्तोें की औसत उम्र 15 साल होती है। नौ से दस साल के बीच बढ़ती उम्र के कारण इनकी गतिविधियों में कमी आती है। ऐसा ही रानी के साथ भी देखा जा रहा है। रानी लगभग दस साल की हो चुकी है।
रानी की बढ़ती उम्र और तीन जिलों में अपराधियों पर शिकंजा कसने की बड़ी जिम्मेदारी के कारण उस पर काम का बोझ बढ़ गया है। इसको देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) शिवहरि मीणा ने एक नये डॉग की झांसी में व्यवस्था किये जाने को लेकर शासन को पत्र लिखा है। यादव ने बताया कि रानी ने अपने अभी तक के कार्यकाल में शानदार काम किया है। रानी एक बहुत समझदार और अनुशासित डॉग है। जिसके कारण वह अपने हर काम को बखूबी अंजाम देती है।

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