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देश में मॉनसून के दौरान सड़कों की खराब हालत किसी से छिपी नहीं है।

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भूमिगत विवरण: सड़कों की समस्या और उनके प्रभाव

भारत में मॉनसून का समय अधिकांशतः खुशियों का समय होता है, लेकिन इस धरतीवर्ष पर मॉनसून के आने से सड़कों की खराबी भी आम बात है। गर्मी के बाद बरसात का समय आते ही सड़कों पर गड्ढे, भूस्खलन, और बाढ़ की खबरें हमें निरंतर परेशान करती रहती हैं। यह समस्या न केवल बड़े शहरों में होती है, बल्कि छोटे शहरों और गांवों में भी। इस समस्या को सरकार द्वारा गंभीरता से देखा जा रहा है और वे एक बड़ी योजना के तहत कंक्रीट से बनी सड़कें बनाने की योजना बना रही है।

योजना विवरण: कंक्रीट सड़कों का महत्व

कंक्रीट सड़कें भारी बारिश और बाढ़ से निपटने में कारगर साबित होती हैं। गड्ढे और भूस्खलन के प्रभाव से बचने के लिए कंक्रीट सड़कें एक अच्छा समाधान प्रदान कर सकती हैं। केंद्रीय संड़क परिवहन और हाइवे मंत्री ने एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया है जो इस योजना की पारखगात्री करेगी। इसके अलावा, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी (NHAI) भी कुछ सेक्शन कंक्रीट से रोड वाला बनाने की तैयारी में है।

कंक्रीट की सड़क निर्माण की चुनौतियां

कंक्रीट की सड़क निर्माण के लिए भी कुछ चुनौतियां हैं। पहले इसकी कीमत बढ़ सकती है, क्योंकि सीमेंट का इस्तेमाल होता है और यह एक महंगा तत्व है। इसलिए, सरकार को इसे किफायती बनाने के लिए शोध करने की जरूरत है। दूसरे, कंक्रीट सड़कों के लिए विशेष अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड अनुसरण करना भी महत्वपूर्ण है ताकि इसकी दृढता और टिकाऊता सुनिश्चित हो।

अतिरिक्त ब्याज: राजमार्ग विकास

इस योजना के अलावा, देश में राजमार्गों के विकास के लिए अन्य सुझाव भी हैं। हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सड़कें, ब्रिज और टनल बनाने की जरूरत है। जो भारी बारिश और भूस्खलन से निपटने में सक्षम हों। इसके लिए एक ऐसा संस्थान होना चाहिए जो इस उद्देश्य की पूर्ति करे। राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए सड़कों के निर्माण और मरम्मत के लिए एक विशेष संस्था बनाई जा सकती है, जो सड़कों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करेगी।

मॉनसून के प्रभाव

जुलाई के शुरुआत से ही पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण कई जगह भूस्खलन के कारण सड़कें तबाह हो गई हैं। हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण काफी तबाही हुई है। यही नहीं, मैदानी इलाकों में भी बाढ़ और भारी बारिश के कारण सड़कें खराब हो जाती हैं। इससे सड़कों का सुरक्षित उपयोग करना मुश्किल होता है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

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