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उद्धव को शिंदे ने दी खुली चुनौती, बोले- 40 में से एक भी विधायक चुनाव हारा तो छोड़ दूंगा राजनीति

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मुंबई :महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के उस बयान पर खुली चुनौती दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि बागी विधायकों को चुनाव का सामना करना चाहिए। सीएम एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को ठाकरे का नाम लिए बिना कहा कि उनका समर्थन करने वाले शिवसेना के 40 विधायकों में से एक भी अगर अगला चुनाव हार गया तो वह राजनीति छोड़ देंगे।उद्धव ने कहा था कि अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो विद्रोही हार जाएंगे। शिंदे ने कहा, “कहा जा रहा है कि कोई भी बागी विधायक चुनाव नहीं जीतेगै। लेकिन मैं कहता हूं कि कोई विधायक नहीं हारेगा। मैंने इसकी जिम्मेदारी ली है। अगर इनमें से कोई भी हारता है, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।” उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, आप कौन होते हैं यह तय करने वाले कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा? यह सब लोगों द्वारा तय किया जाता है। मतदाता तय करते हैं।”
इससे पहले भी नई सरकार द्वारा विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके साथ के सभी विधायक निर्वाचित हों और उनकी टीम और भाजपा को अगले विधानसभा चुनाव में 200 सीटें मिले। अगर ऐसा नहीं हुआ तो खेतों में चला जाऊंगा।एककनाथ शिंदे शुक्रवार सुबह प्रभादेवी में शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बाद में शिंदे ने बागी विधायक अब्दुल सत्तार के लिए इसी तरह के एक सम्मान समारोह को भी संबोधित किया।उद्धव का नाम लिए बिना एक और कटाक्ष करते हुए शिंदे ने कहा कि उन्होंने दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे के जीवन पर एक फिल्म बनाई थी, जिसे लोगों ने पसंद भी किया था। लेकिन कुछ लोग इसे पचा नहीं पाए और उस पर अपना गुस्सा निकाला। शिंदे ने कहा कि उनके अंत में क्या गलत हुआ था इसके बारे में आत्मनिरीक्षण करने के बजाय उद्धव गुट का नेतृत्व उन्हें और उन विधायकों को “देशद्रोही” कह रहा है जिन्होंने उनका समर्थन किया है।
शिंदे ने कहा, “हमने ‘धर्मवीर’ आनंद दिघे के जीवन पर एक फिल्म बनाई ताकि उनका जीवन और काम लोगों को दिखाया जा सके। दीघे ने ठाणे और पालघर में शिवसेना को आगे बढ़ने में मदद की और उनकी तस्वीर हर घर में है। लेकिन उन्होंने (उद्धव ने) क्या किया समय आने पर मैं जरूर बोलूंगा। आप सभी को फिल्म अच्छी लगी, लेकिन कुछ लोगों को पसंद नहीं आई। कुछ लोग इस फिल्म को पचा नहीं पाए और उन्होंने मुझ पर अपना गुस्सा भी निकाला। लेकिन मुझे परवाह नहीं है कि कौन इसे पसंद करता है और कौन नहीं। दीघे ने कहा कि बालासाहेब (ठाकरे) उनके गुरु थे और हम बालासाहेब की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं।”

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