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भालचंद्र नेमाड़े का विवादित बयान
महाराष्ट्र की सियासत और इतिहास में विवादों का नाम नहीं खत्म हो रहा है। इस बार पद्मश्री से सम्मानित लेखक भालचंद्र नेमाड़े ने पंडितों को लेकर विवादित बयान दिया है। भालचंद्र नेमाड़े ने महाराष्ट्र के इतिहास में औरंगजेब से जुड़े हुए विवाद को उजागर किया है। उन्होंने इस विवाद को ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक के नाम से जोड़ा है और दावा किया है कि औरंगजेब को देश से हटाने वाला पहला राजा भाजीराव द्वितीय था।
औरंगजेब के बारे में विवाद
औरंगजेब के विषय में इतिहासकारों के बीच विवाद चला आता रहा है। उनके समय के समाज में धार्मिक विभेदों की वजह से उन्हें लोगों के बीच विभाजित राजा माना जाता है। इस समय के राजनीतिक दलों के बीच भी औरंगजेब के बारे में अलग-अलग मत रहते हैं।
भालचंद्र नेमाड़े के बयान का परिप्रेक्ष्य
भालचंद्र नेमाड़े का विवादित बयान उन्होंने मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के शताब्दी रजत जयंती के समापन समारोह में किया था। इस कार्यक्रम में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक भालचंद्र नेमाड़े ने सनसनीखेज और विवादास्पद बयानों की झड़ी लगा दी। उन्होंने इतिहासकार वी.सी. बेंद्रे को यह भी बताया कि उन्होंने इस देश को पेशवाओं के चंगुल से बचाया और अंग्रेजों को सौंप दिया।
भालचंद्र नेमाड़े के विचार
भालचंद्र नेमाड़े ने औरंगजेब को ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दों को छूते हुए वास्तविक इतिहास पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि उन्हें इस समय के विद्वानों और राजनीतिक दलों ने अलग रखा है। भालचंद्र नेमाड़े ने कहा कि दूसरा बाजीराव एक महान व्यक्ति थे, जो इतिहास में भारतीय राजनीति के स्थान पर अपनी अहम भूमिका निभाए थे।
काशी विश्वेश्वर के महत्वपूर्ण सम्बन्ध
भालचंद्र नेमाड़े ने अपने बयान में कहा कि काशी विश्वेश्वर के महत्वपूर्ण सम्बन्धों को उन्होंने भी उजागर किया है। वह बताते हैं कि औरंगजेब की दो रानियां काशी मंदिर में गईं और वहां के हिंदू पुजारियों ने उन्हें तहखाने में ले जाकर भ्रष्ट कर दिया। औरंगजेब को इस बारे में पता चलते ही उन्होंने काशी विश्वेश्वर मंदिर में तोड़फोड़ की।
औरंगजेब का पृष्ठभूमि
औरंगजेब का राजनीतिक पृष्ठभूमि में भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने मुग़ल साम्राज्य के विकास में अपना योगदान दिया था। लेकिन उनके समय के धार्मिक विवादों के कारण उन्हें विभाजित राजा के तौर पर देखा जाता है। उनके बारे में विवाद आज भी जारी है और भालचंद्र नेमाड़े ने उन्हें लेकर अपना विचार रखा है।
भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व
भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के बारे में भी भालचंद्र नेमाड़े ने अपने बयान में जिक्र किया है। उन्होंने भारतीय इतिहास में बाजीराव द्वितीय को एक महान व्यक्ति के रूप में स्वीकारा है जिन्होंने अपने युग में भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी।
उत्तराधिकारी राजनीति
भारतीय इतिहास में भाजीराव द्वितीय के पद पर उत्तराधिकारी राजनीति का जिक्र भी आता है। उन्होंने अपने समय के सभी पेशवा और राजनीतिक दलों के चंगुल से देश को बचाया था और अंग्रेजों को सौंप दिया था। भालचंद्र नेमाड़े ने कहा कि उस समय के पेशवा न केवल दुष्ट थे बल्कि नीच स्वभाव के भी थे।
इतिहास और विवादों के विकास
भारतीय इतिहास में विवादों का विकास इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जा सकता है। इतिहासकारों और राजनीतिक दलों के बीच भी विवाद होते रहते हैं जो इतिहास को उजागर करते हैं और भारतीय समाज को एक नए परिप्रेक्ष्य में देखने का मौका देते हैं।
नेमाड़े के विचार के बारे में विवाद
भारतीय इतिहास में नेमाड़े के विचारों पर भी विवाद है। इतिहासकार वी.सी. बेंद्रे ने भालचंद्र नेमाड़े के बयान को विवादास्पद और सनसनीखेज बताया है। उन्होंने भालचंद्र नेमाड़े के विचार का प्रतिक्रियात्मक मूल्यांकन किया और इसे उत्तराधिकारी राजनीति के प्रश्न के रूप में देखा है।
नफरत और शांति का संघर्ष
भारतीय इतिहास के विभाजन और नफरत के संघर्ष के बारे में भी नेमाड़े ने अपने विचारों में स्पष्टीकरण किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई महत्वपूर्ण इतिहासी घटनाएं हैं जो हमारे समाज में नफरत और विवाद की जड़ों को दर्शाती हैं। औरंगजेब और भाजीराव द्वितीय के मुद्दे को लेकर विवाद का होना इसका एक उदाहरण है।
अंतिम विचार
भारतीय इतिहास के विभाजन, विवाद, और महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के बारे में विचार करना और उन्हें अपने आप से जुड़ाने का प्रयास करना इतिहासकारों और राजनीतिक दलों के लिए एक अहम कार्य है। भारतीय समाज को इन विवादों से सीख लेना चाहिए और नफरत की जड़ से मुक्त होकर शांति और सद्भावना के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
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