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सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक और मानविकी सेवा के प्रेरणास्त्रोत डॉ. बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया। उनका जन्म 2 अप्रैल, 1943 को बिहार के वैशाली जिले के गिरियाक में हुआ था। उन्होंने सुलभ शौचालय के माध्यम से महत्वपूर्ण काम किया और लाखों लोगों की जीवनशैली को सुधारा। उनका निधन समाज में गहरी खाली पैदा करता है और उनकी यादें हमें एक महान हस्ती की याद दिलाती है।
पाठक ने अपने बचपन में ही गरीबी का सामना किया और उन्हें शिक्षा की महत्वपूर्णता का अच्छा अहसास हो गया। उन्होंने बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ काम किया और उन्होंने शौचालय तकनीक में नवाचार करने का निर्णय लिया।
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पाठक ने शौचालय की समस्या को समझते हुए सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की और उन्होंने सस्ती और सुरक्षित शौचालय तकनीक विकसित की। उन्होंने मैला ढोने और खुले में शौच की समस्या का समाधान ढूंढा और लोगों की जीवनशैली में सुधार किया।
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उन्होंने सुलभ शौचालय को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाया और इसके माध्यम से लाखों लोगों की मदद की। उन्होंने दिखाया कि सेवा का माध्यम होने के बावजूद भी हम किसी बड़ी समस्या का समाधान कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
बिंदेश्वर पाठक के निधन से समाज ने एक महान सेवक को खो दिया है, लेकिन उनका काम और उनकी यादें हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने दिखाया कि एक व्यक्ति किस तरह से समाज के लिए कुछ कर सकता है और अपने संकल्प से बड़े-बड़े दुश्मनों को भी हरा सकता है।
उनकी यादों को सलाम। उनके प्रति हमें हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए और उनके द्वारा शुरू किए गए काम को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
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