समस्याओं की निदान की मांग को लेकर पत्थर व्यवसायियों के अनिश्चितकालिन हड़ताल का जबरदस्त असर, करोड़ो का नुकसान
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रामप्रसाद सिन्हा
पाकुड़: समय पर माइनिंग चलान मुहैया कराने, खनन पट्टा की स्वीकृति में लेट लतिफी की नीति बंद करने, सीटीओ एवं ईसी प्रमाण पत्र मुहैया कराने, खदानों की मापी के नाम पर पत्थर व्यवसायियों के भयादोहन एवं अर्थादोहन पर रोक लगाने सहित कई मांगो को लेकर पत्थर व्यवसायी संघ के अनिश्चितकालिन हड़ताल का पहले दिन जबरदस्त असर रहा। पत्थर व्यवसायी संघ के आहवान पर जिले के क्रशर मालिकों, खनन पट्टाधारियों ने अपने अपने पत्थर इकाईयों में कामकाज हड़ताल के पहले दिनभर ठप रखा। जिले के मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग, कान्हुपुर, चेंगाडांगा, पीपलजोड़ी, बासमाता, श्रीरामपुर, विशनपुर, कालीदासपुर, कशीला, रामनगर, सीतपहाड़ी, फतेहपुर, मानसिंगपुर, महारो, हाथीगढ़, वीरग्राम, शहरग्राम, सुंदरापहाड़ी, खपड़ाजोला, रद्दीपुर, काशीनाथपुर, चांदपुर, खक्सा, गोलपुर आदि स्थानों में स्थित पत्थर खदानो और क्रशरों में पत्थरों का उत्खनन, प्रेषण पूरी तरह ठप रहा। व्यवसायियो के अनिश्चितकालिन हड़ताल की वजह से मालपहाड़ी रेलवे साइडिंग से पत्थरों की ढुलाई रेलमार्ग से नही हो पायी।
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सड़क मार्ग से भी पत्थरों के परिवहन पर प्रतिकुल असर देखा गया। हड़ताल के पहले दिन पत्थर इकाईयों में कामकाज बंद रहने की वजह से केंद्र एवं राज्य सरकार को लगभग दो करोड़ रूपये राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ा है। पत्थर इकाईयों में कामकाज बंद होने के कारण काम करने वाले मजदूरों के समक्ष भी रोजीरोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। पत्थर व्यवसायी संघ का नेतृत्व कर रहे किशोर खेमानी ने कहा कि प्रशासन को हमने अपनी समस्याओं के निदान को लेकर पहल करने की मांग की थी और अनिश्चितकालिन पत्थर इकाईयों को बंद करने का अल्टीमेटम भी दिया था लेकिन प्रशासन द्वारा हमारी समस्याओं के निदान के लिए सार्थक पहल नही की गयी और इसलिए मजबुरन हमें अनिश्चितकालिन हड़ताल करने का कदम उठाना पडा है। उन्होने कहा कि पत्थर व्यवसायी अपना कारोबार वैध तरीके से कर सरकार को राजस्व देने के साथ ही स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने का भी काम कर रहे है लेकिन कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी और अफसरशाही की वजह से हमें बेवजह परेशान होना पड़ रहा है। उन्होने कहा कि अधिकारियों की मनमानी के कारण हमें समय पर खनन पट्टा नही मिल रहा और न ही माइनिंग चलान। ऐसे में कारोबार करना मुश्किल हो गया है। श्री खेमानी ने कहा कि जब प्रशासन हमारी जायज बातों को सुनता ही नही तो ऐसे में कारोबार करने के दौरान जिल्लत की जिंदगी जीने से अच्छा कारोबार बंद करना ही बेहतर है। अनिश्चितकालिन हड़ताल के पहले दिन पत्थर इकाईयों के बंद रहने की वजह से पत्थर औद्योगिक क्षेत्रो में पूरी तरह विरानगी छायी रही। यहां उल्लेखनीय है कि पहली बार छोटे और बड़े पत्थर कारोबारियों ने अपनी समस्याओं के निदान की मांग को लेकर न केवल एकजुटता दिखायी है बल्कि पत्थर इकाईयों को बंद कर अपना आवाज भी बुलंद किया है।
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