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सपा और रालोद के बीच काफी पुराना रहा है गठबंधन का यह इतिहास

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मेरठ: समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के बीच 2022 के विधानसभा चुनाव के लिये आज की गई विधिवत सार्वजनिक घोषणा की गई लेकिन यह कोई नई बात नहीं क्योंकि ऐसे ही गठबंधन का बहुत पुराना इतिहास रहा है।
दोनों ही पार्टियों के बीच की वैचारिक अनुकूलता उस समय सामने आई थी जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ही बोल बाला था। ऐसे में कांग्रेस की पकड़ को तोड़ने के लिये 1970 के दशक में किसान नेता चौधरी चरण ंिसह ने जाटों और यादवों जैसी मध्यस्थ जातियों का गठबंधन बनाया था। इसका फायदा भी उन्हें 1974 के चुनाव में मिला और बहुजन क्रांति दल (बीकेडी) 106 सीटें हासिल करके विधानसभा में दूसरे स्थान पर पहुंच गया था।
2002 के चुनाव के बाद वर्ष 2003 में एक बार फिर सपा और रालोद के बीच बने गठबंधन ने मुलायम ंिसह यादव को मुख्यमंत्री बनवा दिया था। यही गठबंधन 2007 के चुनाव से पहले तक बना रहा। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और रालोद के साथ गठबंधन में बहुजन समाज पार्टी भी शामिल हो गई थी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 2022 के चुनाव के लिये किया गया यह गठबंधन खास तौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावों को काफी प्रभावित करने वाला होगा। इस क्षेत्र में यादव, जाट और मुस्लिम की बहुलता है जो मिल जाने पर वोटों में परिवर्तित हो सकती है।

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