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रांची : दुमका के झामुमो विधायक बसंत सोरेन के मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग में सुनवाई हुई। झारखंड भाजपा की तरफ से लीगल टीम के प्रतिनिधि शैलेश मंडियाल ने बताया कि सोमवार को (प्रारंभिक आपत्ति) पर बहस हुई है। आगे की बहस के लिए अभी तारीख तय होगी। समवार को दोनों पक्षों ने अपनी बात रखी है। वहीं विधायक बसंत सोरेन की लीगल टीम के प्रतिनिधि वरीय अधिवक्ता एसके मेहंदी ने कहा कि अगर यह मामला डिसक्वालीफिकेशन का केस है, तो भी यह प्री-इलेक्शन डिसक्वालीफिकेशन केस है। अपनी बहस में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 1952 से लेकर अब तक यही डिसीजन है कि चुनाव आयोग और गवर्नर का जूरिडिक्शन सिर्फ वहीं आता है जहां पर डिसक्वालीफिकेशन एमएलए बनने के बाद का हो। अगर पहले से कोई डिसक्वालीफिकेशन चल रहा हो और बाद में भी चल रहा हो तो उसके लिए इलेक्शन पिटिशन रेमेडी के जरिये मामला सुनवाई योग्य बनता है। बता दें कि विधायक बसंत सोरेन के खिलाफ भाजपा ने पद का दुरुपयोग करने की शिकायत करते हुए झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंपा था। भाजपा नेताओं के द्वारा दिये गए ज्ञापन में मांग की गई थी कि बसंत सोरेन को अयोग्य घोषित किया जाये। जिसके बाद झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने इस ज्ञापन को निर्वाचन आयोग को भेजा था। बसंत सोरेन इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग को पहले ही अपना जवाब भेज चुके हैं। अपने जवाब में उन्होंने कहा है कि आयोग से उन्होंने कोई तथ्य नहीं छिपाया है। चुनाव के दौरान सौंपे गए शपथपत्र में भी इसका उल्लेख है।
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