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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि महापुरुषों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा और धर्म ग्रंथों की शिक्षा शासकीय विद्यालयों में दी जाएगी। श्री चौहान यहां सुघोष दर्शन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को आजादी दिलाने के लिए असंख्य क्रांतिवीरों ने शहादत दी। आजादी के बाद लंबे कालखंड तक ऐसे शहीदों का स्मरण नहीं किया गया। उन्होंने सुघोष दर्शन कार्यक्रम के लिए विद्या भारती का आभार प्रकट किया।
श्री चौहान ने कहा कि आजादी का श्रेय केवल एक खानदान को दिया गया, जबकि इस लड़ाई में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस, दुर्गा भाभी, सरदार पटेल सहित कई लोगों ने अपना योगदान दिया। उन्होंने इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे क्रांतिवीरों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। सुघोष दर्शन के माध्यम से श्री चौहान ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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उन्होंने कहा कि शिक्षा के तीन उद्देश्य हैं, ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना। विद्या भारती प्रारंभ से ही इन तीनों उद्देश्यों को पूरा कर रही है। भारत में तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों में दुनियाभर से लोग ज्ञान प्राप्त करने आते थे। इसी परंपरा को विद्या भारती आगे बढ़ा रही है। श्री चौहान ने कहा कि हम व्यवहारिक और बेहतर शिक्षा देने के लिए काम कर रहे हैं। अंग्रेजी जानने वाले विद्वान हों, यह जरूरी नहीं है। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा देना तय किया गया है।
मुख्यमंत्री ने दुख प्रकट करते हुए कहा कि कुछ लोग देश में ऐसे हैं, जिन्हें हमारी संस्कृति, परंपरा, जीवनदर्शन, महापुरुष, अध्यात्म और धर्म की आलोचना करने में आनंद आता है। ऐसे लोग गूढ़ हैं। वो ये नहीं जानते कि वो देश का कितना नुकसान कर रहे हैं। राम के बिना यह देश जाना नहीं जाता है। इन धर्म ग्रंथों की शिक्षा शासकीय विद्यालयों में दी जाएगी। गीता का सार, रामायण और महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे।
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उन्होंने कहा कि ऐसे लोग, जो महापुरुषों का अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा। मध्यप्रदेश में इन ग्रंथों की शिक्षा देकर बच्चों को नैतिक शिक्षा देंगे।
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