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नयी दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि सोलर उत्पादों पर जीएसटी पांच फीसदी से बढाकर बारह फीसदी करने से उत्पादन की कीमतें बढेगी और इसका सीधा प्रभाव उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
कांग्रेस के लोकसभा में नेता सदन अधीर रंजन चौधरी ने ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पर शुक्रवार को शुरू हुई चर्चा को आगे बढाते हुए आज कहा कि देश में खनिज पदार्थों की कमी, शोध और विकास के क्षेत्र में कमियां और संस्थागत आभाव के बावजूद सरकार की तरफ से बड़े बड़े वादे किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार एक नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने को लेकर प्रतिबद्धता दिखलाती है और दूसरी तरफ सौर उत्पादों पर लगने वाले पांच फीसदी जीएसटी को बढाकर बारह प्रतिशत कर देती है। सौर उत्पादों पर जीएसटी बढने से इसके उत्पादों के लागत में बढोत्तरी होगी और इसका सीधा प्रभाव उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार को असीमित शक्तियां दी गयी है जो सही नहीं है। राज्य सरकारों को सभी अधिकार दिये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में ंिचता है कि सहकारी संघवाद का क्षरण हो रहा है। नवीकरणीय ऊर्जा को बढावा देने में राज्यों की अहम भूमिका होती है इसलिए राज्यों को अधिक अधिकार दिये जाने चाहिए।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम के डा. गौतम सिगामणि पोन ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में गंभीरता दिखा रहा है। भारत ने 2030 तक दूसरे स्रोतों से ऊर्जा हासिल करने का लक्ष्य रखा है जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अनुसंधान समेत अन्य क्षेत्रों में नवीनता आयेगी जो स्वच्छ ऊर्जा को बढावा देने में मददगार साबित होगा।
उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के आधारभूत संरचना को और अधिक मजबूत किये जाने की जरूरत है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि बायोमास के अच्छे परिणाम नहीं आ रहे है इस बारे में सरकार को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया, बायोमास और इथेनॉल सहित गैर-जीवाश्म स्रोतों के बारे में सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन इस क्षेत्र में सरकार ने किसी लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया है। कुल नवीकरणीय ऊर्जा का साठ फीसदी लक्ष्य भी पूरा नहीं किया गया है।
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