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नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत से कहा कि अगर आप कोर्ट आए हैं तो यह धरना प्रदर्शन क्यों दे रहे हैं? शीर्ष अदालत ने किसानों से कहा कि आपको प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन राजमार्ग को रोककर लोगों की आवाजाही रोकने का हक नहीं है। आपके प्रदर्शन की वजह से आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचाय संगठन पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लंबे समय से विरोध कर रहे किसानों ने पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आकर उत्पात मचाना चाहते हैं। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान यातायात बाधित कर रहे हैं, ट्रेनों और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहे हैं और फिर भी प्रदर्शन करने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता किसान महापंचायत संगठन से कहा, पहले आप हलफनामा दायर कर बताए कि फिलहाल सीमाओं पर बैठे प्रदर्शकारियों से आपका कोई संबंध तो नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने याचिका की प्रति केंद्रीय एजेंसी और अटॉर्नी जनरल को देने का भी आदेश जारी किया है। इससे पहल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की ‘नाकेबंदी’ को हटाने के लिए क्या कर रही है? शीर्ष अदालत ने एक बार फिर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कि सड़कों को हमेशा के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता। गुरुवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि किसी समस्या का समाधान न्यायिक मंच, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से किया जा सकता है , लेकिन सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है और यह एक स्थायी समस्या नहीं हो सकती है। पीठ ने कहा, ‘हम पहले ही कानून बना चुके हैं और आपको इसे लागू करना होगा। अगर हम अतिक्रमण करते हैं तो आप कह सकते हैं कि हमने आपके अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण किया है। कुछ शिकायतें हैं जिनका निवारण किया जाना चाहिए।
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