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बोकारो : बोकारो इस्पात संयंत्र में काम करने वाले वैसे अधिकारी-कर्मचारी, जिन्होंने कंपनी के आवास को किराये पर दे रखा है, उन्हें आवास आवंटन प्रणाली 2017 के तहत अब निलंबित करते हुए संबंधित मकान का आवंटन रद किया जाएगा। इस बाबत सेल प्रबंधन ने आदेश जारी कर योजना को 2 मार्च 2022 से प्रभावी कर दिया है। इससे संयंत्रकर्मियों के बीच हड़कंप मच गया है।
प्रबंधन का कहना है कि यह फैसला नगर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ आवास के बेहतर रखरखाव के लिए लिया गया है।
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बीएसएल में कई ऐसे अधिकारी-कर्मचारी हैं जिन्होंने कंपनी के मकान को अपने निजी लाभ के लिए किराये पर दे रखा है। इनमें सबसे ज्यादा संख्या स्थानीय विस्थापित संयंत्रकर्मियों की है, चूंकि उनका गांव जिले के आसपास के क्षेत्र में ही है। इसलिए वह कंपनी के आवास को किराये पर देकर अपने निवास स्थान से ड्यूटी आते-जाते हैं। इस पर अब रोक लगा दी गई है। बीएसएल में सभी संयंत्रकर्मियों को हिदायत दी गई है कि उन्हें जो आवास प्रबंधन की ओर से आवंटित किया गया है, उसमें उन्हें स्वयं रहना होगा। यदि वे नियम का पालन नही करते हैं तो उनके आवास को रद करने के साथ विभागीय कार्रवाई के तौर पर निलंबित किया जा सकता है।
10 से 12 हजार रुपये वसूलते हैं किराया : बोकारो इस्पात संयंत्र के आवास को अपने नाम पर आवंटित कराने के बाद संयंत्रकर्मी उसे किराये पर लगा देते हैं। इस दौरान वे किरायेदार से संबंधित मकान के प्रकार के अनुसार 10 से 12 हजार रुपये बतौर किराया वसूल करते हैं, जबकि उन्हें कंपनी को किराये के मद में ईएफ टाइप के आवास के लिए 75 रुपये, डी टाइप के लिये 132 रुपये तथा सी टाइप के आवास के लिये 150 रुपये अदा करना होता है।
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कंपनी के आवास का खुलेआम वाणिज्यिक इस्तेमाल किया जाता है। इससे प्रबंधन को परेशानी हो रही है, क्योंकि किरायेदारों में कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो कानून की नजर में असामाजिक तत्व हैं। इससे शहर की सुरक्षा व्यवस्था भी भंग होने की चिंता है। साथ ही किराये पर दिए गए मकान में अतिरिक्त निर्माण कर आवास के रखरखाव को भी प्रभावित करने की शिकायत मिलती रहती है। बताया जाता है कि वर्तमान में बीएसएल के लगभग दो हजार से ज्यादा आवासों को संयंत्रकर्मियों ने किराये पर दे रखा है।
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