Live 7 Bharat
जनता की आवाज

नेशनल ग्रिड से आपूर्ति बाधित, झारखंड में बिजली संकट गहराया, 600 मेगावाट तक लोड शेडिंग

- Sponsored -

रांची : नेशनल ग्रिड से सोमवार की शाम आपूर्ति बाधित होने के कारण राज्य में करीब 600 मेगावाट तक की लोड शेडिंग करनी पड़ी। इसका असर राजधानी समेत अन्य शहरों पर पड़ा है। सोमवार को राज्य की अधिकतम मांग 1800 मेगावाट थी। जानकारी के मुताबिक सोमवार को पीक आवर में नेशनल ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 से घटकर 49.4 हर्टस हो गई। ऐसी स्थिति किसी प्रदेश द्वारा तय सीमा से अधिक बिजली लेने के कारण हुई। नेशनल ग्रिड पर संकट देखते हुए लोड डिस्पैच सेंटर ने राज्यों को तय कोटे से अधिक बिजली नहीं लेने का निर्देश दिया। स्थिति नियंत्रित करने के लिए तत्काल लोड शेडिंग आरंभ की गई।अधिकारी वस्तुस्थिति का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। उन राज्यों से जानकारी ली जा रही थी जिन्होंने ओवर ड्रा कर बिजली संकट पैदा किया। बिजली वितरण निगम के एक अधिकारी के मुताबिक नेशनल ग्रिड की फ्रिक्वेंसी 50 हर्ट्स रहना चाहिए। देश में बिजली का ट्रांसमिशन 50 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर होता है। यह बिजली की उपलब्धता और उसके उपयोग का संतुलन है। यदि यह घट जाए या अधिक बढ़ जाए तो ग्रिड के ठप होने का खतरा हो जाता है। फ्रिक्वेंसी को 50 हर्ट्ज पर बनाए रखने के लिए नेशनल ग्रिड से जुड़े राज्यों का कोटा तय है। यदि कोई राज्य तय सीमा से अधिक बिजली ग्रिड से खींचता है तो इससे असंतुलन उत्पन्न होने लगता है। नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर पर इसकी निगरानी की जिम्मेदारी है।उधर, झारखंड बिजली वितरण निगम बकाया का भुगतान करने के लिए केंद्र से 6000 करोड़ का ऋण लेगा। निगम पर डीवीसी, एनटीपीसी, पीटीसी समेत अन्य कंपनियों का भारी-भरकम बकाया है। ऋण भारत सरकार के इलेक्ट्रिसिटी (लेट पेमेंट सरचार्ज एंड रिलेटेड मैटर्स) रूल्स के तहत लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सभी बिजली कंपनियों का बकाया चुकाने का निर्देश दिया है। ऋण की सुविधा के तहत किस्तों में बकाया चुकाने की सहूलियत होगी। निगम ने सरकार से अनुमति लेकर बैंकों से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है।नियम के मुताबिक 500 करोड़ तक का बकाया 12 किस्तों में, 1000 करोड़ तक का बकाया 20 किस्तों में, 2000 करोड़ तक का बकाया 28 किस्तों में, चार हजार करोड़ तक का बकाया 34 किस्तों में, 10 हजार करोड़ तक का बकाया 40 व 10 हजार करोड़ से अधिक बकाया होने पर 48 किस्तों में भुगतान किया जा सकेगा। केंद्र सरकार का यह नियम सभी वितरण, उत्पादन और ट्रांसमिशन कंपनियों के बकाये का भुगतान करने के लिए किया गया है। बिजली उत्पादक कंपनियों ने भारी बकाये के कारण कोयला खरीदने में परेशानी से अवगत कराया है, जिसे ध्यान में रखते हुए यह नियम बनाया गया है।ु राज्य बिजली वितरण निगम पर डीवीसी का 3900 करोड़, एनटीपीसी का 350 करोड़, आधुनिक पावर का 350 रोड़ व पावर ट्रेडिंग कारपोरेशन का 400 करोड़ रुपये बकाया है। लगभग चार हजार करोड़ रुपये तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड का बकाया है। ऋण मिलने से इन कंपनियों के बकाये का भुगतान किस्तों में हो सकेगा और कंपनियां निर्बाध बिजली आपूर्ति कर सकेगी।

Looks like you have blocked notifications!

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.

Breaking News: