तो योगेंद्र साव को एनटीपीसी के चट्टी बरियातू और केरेडारी कोल ब्लॉक का नब्बे प्रतिशत काम चाहिए..ऑडियो वायरल!
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Ranchi:- झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के बारे में आम चर्चा है कि जहां उनका हित नहीं सधता है. वहां उनके द्वारा जनहित के मुद्दे के नाम पर धरना के नाम धंधा और आंदोलन के नाम आमदनी का जरिया बनाते हैं. जहां पर भी धरना-आंदोलन करते हैं. वहां जनता के मुद्दे कितना हल होता है यह मायने नहीं रखता है. योगेंद्र साव का हित सधने के बाद दुबारा वहां की बात करना, धरना-प्रदर्शन व जबरन काम बंद करवाने जैसी कोई कार्य इनके द्वारा नहीं किया जाता है. सोशल मीडिया में तेरह सेकेंड का एक ऑडियो वायरल हो रहा है. जिसमें आवाज योगेंद्र साव की बताई जा रही है.0( लाइव 7 ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है) जिसमें यह कहा जा रहा है कि “तुमको हम काम मांगे थे तीस परसेंड काम दे दो हमको तो तुम दो हमको और नहीं दोगे तो मतलब ठीक है तुम पुराना नहीं देते हो. तो चट्टी बरियातू में तुम जो माइनिंग करने जा रहे हो और कंडाबेर में माइनिंग करने जा रहे हो, उसमें जो है सो तुम दस परसेंट रखकर सारा काम दो हमको ”
आइए अब ऑडियो में कही जा रही बातों का मतलब समझाते हैं. बड़कागांव में एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल प्रोजेक्ट में योगेंद्र साव और निर्मला देवी द्वारा 2016 में कफन सत्याग्रह आंदोलन किया जा रहा था. आंदोलन में ग्रामीण-पुलिस में झड़प हो गई थी. जिसमें चार लोग मारे गए थे. पुलिस और एनटीपीसी का कहना था कि योगेंद्र साव अपने बेटे अंकित राज की कंपनी के लिए तीस प्रतिशत काम लेने के लिए कंपनी पर दबाव बनाने के लिए जनता को बरगला कर उपद्रव कराया. न्यायालय में आरोप सत्य पाया गया और योगेंद्र साव, निर्मला देवी को दस-दस साल की सजा सुनाई गई. दोनों को झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिली हुई है. अभी हाल में एनटीपीसी के ही चट्टी बरियातू और केरेडारी में कॉल ब्लॉक का काम चालू होने जा रहा है. इसी संदर्भ में वायरल ऑडियो में योगेंद्र साव द्वारा यह स्वीकार भी किया जा रहा है कि उनके द्वारा तीस प्रतिशत काम मांगा गया था और चट्टी बरियातू में अभी जनहित के मुद्दों को आगे कर अपना हित साधने के लिए पिछले चार दिनों से एनटीपीसी का काम बंद करवा रखा है. उसका उद्देश्य भी स्पष्ट किया जा रहा है कि उन्हें उक्त परियोजनाओं में नब्बे प्रतिशत काम चाहिए.
जनहित के मुद्दों पर अलग-अलग रवैया क्यों?
राजनीति के जानकारों के साथ आम लोगों में इस बात की काफी चर्चा है कि एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह में गैरमजरूआ जमीन के रैयती दर पर भुगतान और अवैध ट्रांस्पोर्टेशन तथा अवैध ट्रांसपोर्टेशन के दौरान हुई दो मौतों पर योगेंद्र साव और उनकी विधायक पुत्री अम्बा प्रसाद द्वारा चुप्पी क्यों साधी गई है. यहां के मुद्दों पर उनका काम बंद करवाना, धरना-आंदोलन क्यों नहीं हो रहा है. इस बात की अब आम चर्चा होने लगी है कि साव परिवार व्यक्तिगत हित साधने के लिए जनहित के नाम धरना-आंदोलन करता है. पिछले महीने ही साव परिवार के लोगों द्वारा चट्टी बरियातू परियोजना के ट्रांस्पोर्टेशन के दौरान वाहनों का हवा निकाल कर ट्रांस्पोर्टेशन बंद करवाने का मामला भी सामने आया था.
आंदोलन पर प्रश्रचिन्ह ?
मुख्य सवाल यह है कि जो मामला चट्टी बरियातू में साव परिवार द्वारा अभी उठाया जा रहा है और काम बंद करवाया गया है. वही मामला पंकरी बरवाडीह में क्यों नहीं उठाया जाता ?.अवैध ट्रांस्पोर्टेशन और अवैध ट्रांस्पोर्टेशन के दौरान हुई मौत का विरोध क्यों नहीं किया जाता इनके द्वारा ? गैर मजरुआ भूमि के मुआवजा भुगतान सहित अन्य मामलों के लिए पंकरी बरवाडीह में क्यों धरना नही दिया जाता ? वहां काम क्यों नहीं बंद करवाते है ये लोग ? वहीं पर एलएंडटी का काम चल रहा है वहां का विरोध क्यों नहीं होता है.
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