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मुंबई: वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ने की आशंका और फेड रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की अटकलों से विदेशी बाजारों में आई गिरावट के दबाव में बीते सप्ताह 1.36 प्रतिशत तक गिरे घरेलू शेयर बाजार की नजर अगले सप्ताह जारी होने वाले आर्थिक विकास, कार बिक्री और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर रहेगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 812.28 अंक टूटकर सप्ताहांत पर 59 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 58833.87 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 199.55 अंक गिरकर 17558.90 अंक पर रहा।
वहीं, समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत छोटी और मझौली कंपनियों में तेजी रही। सप्ताहांत पर मिडकैप 153.43 अंक चढ़कर 25119 अंक और स्मॉलकैप 240.51 अंक की तेजी लेकर 28415.89 अंक पर रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, अगले सप्ताह 31 अगस्त को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी होने वाले हैं। इस आंकड़े पर निवेशकों की नजर रहेगी। इसका असर अगले सप्ताह बाजार पर दिखेगा। इसके साथ ही 01 सितंबर को अगस्त में हुई वाहनों की बिक्री तथा अगले सप्ताह ही अगस्त के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े भी आएंगे। बाजार की दिशा निर्धारित करने में इन कारकों की भी अहम भूमिका होगी।
इनके अलावा अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की दो दिन पूर्व हुई जैक्सन हॉल बैठक के दौरान उनके वक्तव्य में महंगाई को दो प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम तेजी से उठाए जाने के संकेत पर अगले सप्ताह वैश्विक बाजार की प्रतिक्रिया सामने आएगी। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि ऊंची ब्याज दरें, धीमी विकास दर और श्रम बाजार में नरमी से मुद्रास्फीति में कमी आएगी। हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक हमें विश्वास नहीं हो जाता कि काम पूरा हो गया है। ऐसे में छोटे निवेशकों को सलाह है कि वह सतर्कता बरतें।
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